________________
१६. चबको अति अबखो चलै रे, सबको दिल बेचैन ।
सुणै न मानै ऐन । । हत्थेली तक शोथ ।
उच्छृंखल खल आग्रही रे, १७. बढ़तो- बढ़तो बढ़ चल्यो रे, पल-पल पीड़ा पसरती रे, अंतर करती थोथ ।। १८. नयण न निशभर नींदड़ी रे, दिन में रुचै न आ'र । चलणो सोणो बैठणो रे, सारा बणग्या भार ।। १६. कब ही पोढ़े पट्ट पे रे, कब ही समी जमीन ।
इत गर्मी चित्तौड़ की रे, बेशर्मी में लीन ।। २०. शांत रूप अरहंत को रे, करै संतपति जाप ।
भक्तामर ऋषभस्तुती रे, पुनि-पुनि बोलै आप । । २१. मृगन चौथ चंपक सभी रे, शिव सुख सोहन शिष्य ।
झमकूजी आदी सत्यां रे, सेवा सझै विशिष्य ।। २२. मुझनै सूंप्यो महर स्यूं रे, मुनिप निशा - व्याख्यान । समय-समय स्वाध्याय को रे, मौको दियो महान ।। 'अथग उचरंग उपावै जी,
२३. 'पूठोली' 'चोगामड़ी' जी, चाल्या तज 'चित्तौड़' । सुद बारस तिथ जेठ की जी, 'गढ़-हमीर' रै गोड । । २४. सुराणा श्रावक जठै जी, द्रव्य-भाव-संपन्न' ।
सबविध सेवा साचवै जी, पल-पल परम प्रसन्न ।। २५. मदनसिंहजी मुरड़िया जी, ३ भीलवाड़ै सुप्रडेन्ट ।
लख व्रण-वेदन व्यस्तता जी, विनवै गुरु-पद भेंट ।। २६. पूज्य पधारो पाधरा जी, भीलवाड़ो है पास।
सहज चिकित्सा हाथ री जी, फळसी मुझ अभिलाष । । २७. जची मगन रै आपरै जी, मुरड्याजी री बात ।
कर विहार आया बही जी, 'मंडपियै' गणनाथ ।। २८. बिद एकम आषाढ़ की जी, मदनसिंहजी साथ । दो डॉक्टर" गुरु प्रणमता जी, दीठो व्रण-युत हाथ । ।
१. लय: सपना
२. प्यारचंदजी सुराना आदि तीनों भाई
३. देखें प. १, सं. ४४
४. डॉ. नंदलालजी (भीलवाड़ा), डॉ. मोदीलालजी (गुलाबपुरा )
उ.५, ढा.१३ / १६३