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________________ ढाळः १०. दोहा १. ग्यारह वासर बड़नगर, पूनम रो प्रस्थान। ___ 'लघु खरसोद' पधारिया, गुरुवर पुण्यनिधान ।। २. 'सरसाणो' सरसावतां, बीच सरसरी एक। ____ चलै न बस 'चंबल' बहै, रोड रपट पथ छेक।। ३. चटकीली 'चलदू' नदी, भिड़क्यो 'हिड़क्यो' खाल। सब लंघ्या थल-पथ बही, चलता अपनी चाल ।। ४. पर चंबल-जळ झळफळे, मिलै न मूल किनार। टेढ़ बांक पिण झांकता, लंबाई अणपार ।। ५. अन्य उपाय अदेख नै, आगम-विधि अनुसार। ___ नदी पार गुरुवर करै, लार शिष्य परिवार ।। 'गुरु आज बणै जलचारी। मैं स्वयं साथ अनुचारी, गुरु आज बणै जलचारी। निरखै अनेक नरनारी, गुरु आज बणै जलचारी।। ६. तटिनी-तट पर ऊभा स्वामी, संत-सती सारा अनुगामी। उत्तरणी सरिता री, गुरु आज...।। ७. कनै नहीं राखो अन-पाणी, करणो चउविहार पचखाणी। संथारो सागारी, गुरु आज...।। ८. एक चरण जल में इक ऊपर, धीमै धरणो ससलिल भू पर। शांत गमन गति जारी, गुरु आज...।। ६. तरंगिणी रै परलै तीरै, चलणो संतां! धीरे-धीरै। क्लान्त नहीं ज्यूं वारी, गुरु आज... ।। १०. छत्ती पग पाणी में लाग्या, दोष नहीं आगम की आज्ञा। थिर पर-तीर पधारी, गुरु आज...।। ११. चउवीसत्थव खड़ा-खड़ा कर, अप्रकम्प है काया स्थिरतर। जल-बिंदू सब झारी, गुरु आज... ।। १. लय : कर्मन की रेखा न्यारी १५० / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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