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२६. बचपन यौवन वृद्धता रो, नहिं कोई कारण खास खरो, जब जिणरै वैराग जाग हो, संयम-पथ में चरण धरो।
क्षण भी फिर अन्तराय न करो।।
'पूछ-पूछ रे आई. जी. पी. संशय हरण सचेत। आशय ऊंचै रे उत्तर देवै जननी जनक सहेत।।
२७. एक ओर ऊभा लखी रे, बालक रा मां-बाप । __ पूरववत पूछा कियां रे, समाधान है साफ।। २८. देवां हार्दिक हर्ष स्यूं रे, अनुमति संयम-काज।
काज सुधारै आपणां रे, धन्य-धन्य शिशु आज।। २६. नहीं कमी धन-धान री रे, म्है सबविधि संपन्न।
शिशु मन वेरागे रम्यो रे, अद्भुत बात अनन्न।। ३०. बहकायां माया तजै तो आपां नै वेराग
क्यूं नांवै, गावै गुरु रे, सदा मुक्ति रो माग।।
महाराणा महाविद्यालय में, अद्भुत आभा आज खिली।
३१. आई. जी. आमोद में रे, चित्रित चित्त विचार करै, लोक-बोक बकवास व्यर्थ सब, ओ आह्लाद विवाद परै।
देख्यां ही आंतर हृदय ठरै।। ३२. ऊधै माथै क्यूं पड़े रे, ऊभा मात-पिता उलसै, बालक वारी रग-रग सारी, संयम में सानन्द बसै।
गुरुवर रो ललित ललाट लसै ।। ३३. बाढ़-स्वर बाधा बिना रे, संयम पचखावै भावै, तूष्णींभावे सकल सुभावे, गुरु-सम्मुख निजऱ्या ठावै।
उल्लास सरस रस बरसावै।। ३४. पंचायत नोहरे गुरू रे, मध्य बजारे पधरावै, जय-जय विजय-विजय जन-धुन स्यूं, अंबर धरणी गुंजाबै।
___ प्रभुता रो पार नहीं पावै।। १. लय : चूरू की चरचा २. कन्हैयालालजी कोठारी और उनकी पत्नी 3. लय : डेरा आछा बाग में जी
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१३२ / कालूयशोविलास-२