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६. तेरापंथी पूज्य रो, है निस्पृह उपदेश।
सुणतां ही सांसो मिटै, कटै कठिन संक्लेश ।। ७. कहै नृपति महता प्रति, अस्यो और ओसान। ____ आवै तो कहिज्यो बली, होसी हर्ष महान।। म्हारा पूज्य परम गुरु! श्री भिक्षशासण नै थारी देण। हो म्हारा जैन जगतगुरु! श्री भिक्षूशासण नै थांरी देण।। ८. महिमा महिमा प्रसरी सारै शहर जी, प्रसरी....
घर-घर तेरापथ री ख्यात बढ़ी घणी। म्हारा... जन-जन मुख-मुख यश-परिमल री लहर जी, यश प्रबल भाग्यशाली है संघ-शिरोमणी।। म्हारा.... ६. तीस मिनट लग पन्थाधिप रै पास जी,
जुग कर जोड्यां महाराणाजी बेसिया। वचनामृत स्यूं जाणक मेटी प्यास जी,
निज श्रावक ज्यूं राणाजी उपदेशिया।। १०. एक कहै इण में कुण-सो आश्चर्य जी,
तंयालीसे पिण मघवा महिमागरू। भैक्षवगण रा पंचम पटधर वर्य जी, विचरत आया उदियापुर मतिसागरू।। ११. तब महाराणा फतेसिंहजी चाल जी,
भेट्या गुरु-पद बाड़ी में कविराज री। देशन सुणतां आयो संध्या काल जी,
तब उठ चाल्या रीत नहीं आ आज री।। १२. बीजो बोल्यो भारिमाल रै काल जी,
भीमसिंह महाराणो अति भगती करी। कह तीजो सज्जनसिंहजी रो. ख्याल जी,
अति ऊंचो पिण आयू अल्प लह्यो वरी।। १३. अरे अणां री सगती रो नहिं थाग जी,
रुक्यो मेघ बिच में नहिं बरसी बूंदड़ी। राणो ऊठत बूठत सहज सुभाग जी, धारासारै शोषी सारी दूंदड़ी।।
१. लय : काळी-काळी काजळियै री रेख जी
११४ / कालूयशोविलास-२