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३/७, ४/७ ५/२
प्रभुवर ! आवी बेळा क्यारे आवशे, क्यारे थइशुं बाह्याभ्यंतर निर्ग्रथ जो । सर्व संबंध नुं बंधन तीक्ष्ण तोड़ी ने विचरशुं क्यारे महापुरुष ने पंथ जो ।। प्रभुवर !
अन्तर ढाळ
आज म्हारै स्वामीजी रे वर्षी रो दिन आयो रे हो अंतर आलोयणा ।
आज अप गुरुंवरजी रो वर्षी रो दिन आयो रे, देखां अंतर लोयणां ।
राजनगर में भगतां धुर में उघड़ी अंतर आंख्यां रे, 'सीए दाहे ' री रातड़ी ।
सोजत बगड़ी बड़लू झांका जोधाणे री झांक्या रे, बड़ी विलक्षण बाती । ।
* लाग्यो लाग्यो जेठ अषाढ़ कंवर तेजा रे, लगतो तो आयो सावण भादवो ।
मोटी-मोटी बूंद पड़े है कुंवर तेजा रे, जोड़ा निवाण पाणी स्यूं भरया, जागो जागो नींद रा निंदाल कंवर तेजा रे, थारा साईना बौवे बाजरो ।।.
अन्तर ढाळ
म्हांरा लाडला जंवाई कुत्ती पाळ लीज्यो जी इण कुत्ती री पूंछ, जाणै सगोसा री मूंछ ।
मूंछ मरोड़ लीज्यो जी, म्हांरा लाडला व्याहीसा कुत्ती पाळ लीज्यो जी ।।
आज्या आज्या हे नींद नैणां में घुळज्या,
लाडू जीमज्या ए नींद भूखी मत जा । आज्या...ध्रुव.
चंदा थारे च्यानणे जी कोई डागल घाली खाट ।
गया ए न साजन बावड्या कोई रात्यं जोई बाट ।। आज्या आज्या हे ...
परिशिष्ट-३ / ३३६.