________________
३/७
३/७
३/८
३/६
अन्तर ढाळ
झड़ाकै छोड़ी हो बाला ।
लाग्यो वचन से तीर टूटग्या त्रटक मोह रा ताला ।। झड़ाकै छोड़ी... ध्रुव . सुण बालम री बात सुभद्रा बणी अणमणी बोली । कीड़ी पर कटकी न करो पिऊ मैं तो अबला भोली ।। झड़ाकै छोड़ी...
अन्तर ढाळ
कोरो काजळियो । (ध्रुव .) ( खोटो लालचियो)
काजल भरियो कूंपलो, कोई पड़यो पलंग अध बीच। कोरो काजलियो । म्हें थाने बरजूं साहिबा ! कोई उन्हालै मत आय। कोरो काजलियो । उन्हालै री रुत बुरी, कांइ रात्यूं खटमल खाय । कोरो काजलियो । ।
नींदड़ली हो वेरण होय रही। ध्रुव .
थाने सतगुरु देवै छै सीखड़ी, जागो जागो हो कोई भव जीव क । निद्रा प्रमाद नै वश करी, जीव देवै हो नरकां नी नींव क ।। नींदड़ली हो वेरण होय रही । ।
३/६, ४/७ दुलजी छोटो सो । ध्रुव.
बड़ का पान बड़ाबड़ बाज्या,
म्हांरै दुलजी मांड्यो रे हिंडाळो रे, दुलजी छोटो सो । । आंवता बटाऊ और जांवता बटाऊ
म्हांरै दुलजी नै झोटो देता जाई रे, दुलजी छोटो सो । ।
अन्तर ढाळ
देखो रे भाई ! कलजुग आयो दुनिया पलटी जाय छै । । आगे धोळा आयां पछै संयम स्यूं चित्त ल्याय है । अबै धोका आयां पछै फेर परणवा ज्याय छै ।। देखो रे भाई ...
३/१०, ४/८ डाल गणी रै पाट विराज्या भान ज्यूं । *सुण-सुण सौभागी
जगदम्बा गुरु- अंबारी गुण भम्भा बाजै रे ।
३४० / कालूयशोविलास-१