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________________ आच्छन्न परिधि में देखकर वह खुश हुआ। गमनागमन के छोटे-से मार्ग पर जाल बिछा देने मात्र से सारे हंस एक साथ उसे उपलब्ध हो सकते थे। उसने वैसा ही किया। अब सब हंस घबराए और वृद्ध हंस की बात न मानने के कारण पश्चात्ताप करने लगे। उनकी कातर आंखों में मार्गदर्शन की याचना थी। वृद्ध हंस द्रवित होकर बोला- 'मैंने तुमको पहले ही कह दिया था कि इस बेल को जड़-मूल से उखाड़ दो। तुम लोग इस विषय में लापरवाह रहे। थोड़ी-सी लापरवाही से यह काम बढ़ गया। अब तो एक ही उपाय है कि तुम लोग श्वास रोककर पड़े रहो और जब मैं संकेत करूं उड़ जाना। वृक्ष की छाया में विश्राम करने के बाद बहेलिये ने अपना जाल संभाला। जाल में एक भी हंस नहीं था, किंतु वे सब मृत-से होकर शाखाओं पर लटक रहे थे। उस समय हंसों को मारना निषिद्ध था। बहेलिए ने सोचा-यदि कोई शिकायत कर देगा तो मारा जाऊंगा। उसने तत्काल अपना जाल समेटा। जाल सिमटते ही वृद्ध हंस ने संकेत किया। सब हंस एक साथ उड़ गए। .६७. आचार्य भिक्षुकृत बारह व्रत चोपई का गाथांश साधु बिना सगला पोखीजै, पनरमो असंयति-पोष कहीजै।८।१५ बारह व्रत चोपई की पूरी गाथा। साधु बिना सगला पोखीजै, पनरमो असंयति-पोष कहीजै। रोजगार लहि त्यां ऊपर रेवै, खाणो-पीणो असंयति नै देवै ।।८।१५ ६८. भगवान महावीर के संसारपक्षीय जामाता जमालि भगवान के पास दीक्षित हुए। कुछ समय बाद वे भगवान से अलग विहार करने लगे। एक दिन वे अस्वस्थ हो गये। उन्होंने शिष्यों को बिछौना तैयार करने के लिए निर्देश दिया। शिष्य बिछौना बिछाने लगे। जमालि के लिए एक क्षण भी बैठे रहना मुश्किल हो रहा था। उन्होंने बार-बार बिछौने के लिए पूछा। शिष्य अपना काम कर रहे थे। पर उसमें जो समय लग रहा था, उससे जमालि के विचारों में उथल-पुथल शुरू हो गयी। जमालि ने सोचा-भगवान कहते हैं-'कडेमाणे कडे' (क्रियमाण कृत)-जिस काम को करना शुरू कर दिया, वह हो गया। कितनी देर से मेरा बिछौना किया जा रहा है, किंतु अब तक पूर्ण नहीं हुआ है। इस स्थिति में भगवान महावीर की प्ररूपणा सही कैसे हो सकती है? 'कडेमाणे अकडे' -क्रियमाण जब तक पूरा नहीं होता है तब तक वह अकृत ही रहता है। २८८ / कालूयशोविलास-१
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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