________________
२७. जैन आगमों में आठ पृथ्वियों का विवेचन मिलता है। उनके नाम इस प्रकार हैं१. रत्नप्रभा
५. धूमप्रभा २. शर्कराप्रभा
६. तमप्रभा ३. बालुकाप्रभा
७. महातमप्रभा ४. पंकप्रभा
८. ईषतप्राग्भारा २८. कर्म-मुक्त आत्मा के आठ गुण हैं१. केवलज्ञान
५. अटल अवगाहन २. केवलदर्शन
६. अमूर्तिकपन ३. आत्मिक सुख
७. अगुरुलघुपन ४. क्षायिक सम्यक्त्व
८. क्षायकलब्धि ये आठ गुण मुक्त आत्मा में पाए जाते हैं। मुक्त आत्माएं सिद्धशिलातल से ऊपर रहती हैं। आधार और आधेय के अभेदोपचार से उस स्थान को ही महान आठ गुणों का स्थान कहा गया है।
२६. साधना की सुरक्षा की दृष्टि से पांच समिति और तीन गुप्ति का विशेष मूल्य है, अतः इनको माता कहा गया है। ये आठ प्रवचन माताएं कहलाती हैंसमिति
गुप्ति १. ईर्या समिति
१. मन गुप्ति २. भाषा समिति
२. वचन गुप्ति ३. एषणा समिति
३. काय गुप्ति ४. आदाननिक्षेप समिति
५. व्युत्सर्ग समिति ३०. आठ मद स्थान१. जाति
५. तपस्या २. कुल
६. श्रुत ३. बल
७. लाभ ४. रूप
८. ऐश्वर्य ३१. आठ सिद्धियां१. लघिमा
४. प्रकाम्य २. वशिता
५. महिमा ३. ईशित्व
६. अणिमा
२६६ / कालूयशोविलास-१