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________________ ६. क्षमा क्षमाधर सरखी हो, मन क्षमता मुनिवर! राखज्यो, __क्षमा-मूल है श्री जिनवर रो माग। जीभ झरै जब गाळी हो', निज आतम काळी बो करै, समताशाली सदा वरै सौभाग।। १०. मानव एक अभागो हो, तज लज्जा लागो नाचणे, तिणरो सागो कहो करै को अन्य। ओ उपनय दिल धारी हो, परबारी टारो रीसड़ी, खरी क्षमा स्यूं सहणो वचन-अजन्य।। ११. अस्त्र-शस्त्र बिन अड़णो हो, कांइ लड़णो लाघव लार लै, भिड़णो भांपण आपणड़ो अणमेल। __ बिन जंजीरे जड़णो हो, आभड़णो नहिं दिल वैर नै, क्षमा-धर्म रो धारो सारो खेल।। १२. तहत विनययुत वाणी हो, गुणखाणी जाणी स्वीकरी, दृढ़ता ठाणी सारो श्रमण समाज। श्रावक-जन-समुदाये हो, गणिराये प्राये प्रेम स्यूं, पायो भायो शान्त-सुधारस प्राज।। समता रो सुरतरियो हो, मनगमता फल दै सर्वदा। सेवै जो गुणदरियो हो, दिल भरियो देवी-सम्पदा।। १३. प्रतिपक्षी प्रारंभ्यो हो, आलंब्यो सहु मिल सांमठो, ___ पंथ-पथाधिप निंदा रो निर्माण। पुरवासी कोई जाणै हो, नहिं जाणै ख्याती पूज्य री, मानो स्वयं प्रतिष्ठा रो सुविहाण।। १४. भीखण रा भरमाया हो, औ आया तेरापंथिया, दान दया रा पाया दिया उखार। भूखो मांगै टूको हो, घर ढूको किण रै बापड़ो, तिणनै दीधां धरम न पुण्य प्रसार।। १५. मरता जीव बचावै हो, कोइ ल्यावै करुणा कारुणी, दिलड़ो भीजै पोखीजै छह काय। १. देखें प. १ सं. ७६ उ.३, ढा.१ / १७६
SR No.032429
Book TitleKaluyashovilas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages384
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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