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५६. ओ तरुण कवी रघुनन्दन है, वाग्देवी रो अभिनन्दन है। ___ रूं-रूं प्रकाश रो स्पन्दन है, गढ़ चूरू में... ५७. संपूर्ण हुयो म्हारो प्रण है, ल्या खड्यो कियो इण आंगण है।
___ ज्यूं चाहो करो परीक्षण है, गढ़ चूरू में... ५८. साश्चर्य सशंक निहारै है, नहिं निरखत पलकां हारै है।
संशय री बाट विसारै है, गढ़ चूरू में... ५६. गुरु बोलै वाणी गीर्वाणी, प्रेमामृत मिश्रित गुणखाणी।
पंडित सस्मित योजित-पाणी, गढ़ चूरू में...
अयि कविवर्याः! साधूनामिह संगतिरनिशं कार्या। भिषगाचार्याः! उचितं रुचितं अतिवर्तन्ते नार्याः ।।
६०. किं शुभाभिधानं? का जातिः? अभ्यस्तं किं? कतरा ख्यातिः?
प्रथमोवसरः बुध आयाति, अयि कविवर्याः!... ६१. सुकृतित्वं साधोः संसर्गात्, सुकृतित्वं साधोः संसर्गात्
किं न स्यात् साधोः संसर्गात्, अयि कविवर्याः!... ६२. भयभीतानामभयं बाढू, संत्रस्तानां त्राणं बाढ़म्
सुनयाध्वनि गमनं इह गाढ़म्, अयि कविवर्याः!... ६३. तेरापथसंघे रीतिरियं, श्रीभिक्षोर्नियता नीतिरियम्
चित्रं! धीमन्! हृदि भीतिरियम्, अयि कविवर्याः!... ६४. दृष्ट्वा श्रीभिक्षोः साहित्यं, स्पृष्ट्वा गुरुलापनलालित्यम् हृष्ट्वा सन्' प्रापत् सौहित्यम्, अयि कविवर्याः!...
'प्यारो कालूयशोविलास। ६५. आशुकवित्व परीक्षण शिक्षण, विश्रुत श्रुत विश्वास ।
सहज विचक्षणता रो परिचय, बोली रो विन्यास ।। ६६. सुणो जतीजी! धीज पतीजी, ल्यो म्हारो स्याबाश ।
बड़ो खेद थांरी कहणी पर, म्हारै मन उपहास।। ६७. वसुंधरा आ धरा कहावै, जरा न वितथ विलास।
ढाळ आठवीं धर्मसंघ हित, ओ अद्भुत आयास।।
१. विद्वान २. लय : भजिए निशदिन कालु गणिंद
१४४ / कालूयशोविलास-१