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३८. दम्पति-दीक्षा' सहज दीपती, 'हार्मन' नयन निभालै 1
दुर्लभ अवसर भर जीवन में, जेकोबी दिल हालै रे ।। ४०. रीति नीति संघीय वृत्तियुत, वातावरण विशाल ।
महावीरकालीन निहाली, तेरापथ री चाल रे ।। ४१. सभा-समक्षे सकल सुलक्षे, दक्ष स्व मुख स्यूं बोलै' ।
अद्भुत है विरतंत अठै रो, देख्यां हिवड़ो डोलै रे ।। ४२. सदा सर्वथा रही अपरिचित, तेरापथ री राह ।
नहिं तो कम स्यूं-कम गुरुवर पे, रहतो दो सप्ताह रे ।। ४३. तीन दिवस में पिण जो मन में, तत्त्व - सत्त्व अवतार्यो ।
श्री कालू-उपकार कभी जीवन में जाय विसाय रे? ४४. यूं गुण-गाहन करतो वाहन चढ़ियो जर्मनवासी । दुतियोल्लासे यशोविलासे पहली ढाळ प्रकाशी रे ।।
छप्पय छंद
४५. जूनागढ़ में जाय मुदित हर्मन जेकोबी, साजन सभा सझाय कियो भाषण जेकोबी । अबकै हिंदुस्तान ठान दिल दूजै आयो, तीन वस्तु रो सरस दरस मैं नूतन पायो । सुध साधु वीर बरतार रा दम्पति दीक्षा साथ में, 'मच्छं मंसं' पाठ रो अर्थ यथार्थ वदात में ।।
ढाळ : २. दोहा
१. अकस्मात ही जोधपुर, राज्यसभा में एक । नाबालिग दीक्षा-विषय, उदित हुयो उल्लेख | | २. राजगजट मांही प्रगट करी सूचना चून ।
शिशु-संयम प्रतिबन्ध - हित, होसी यूं कानून ।। ३. नाबालिग नै जो अबै, देसी दीक्षा- भार । पांच बरस री हो सजा, रुप्यक एक हजार ।।
१. मुनि हुलासमलजी - साध्वी मालूजी २. देखें प. १ सं. ४८
उ.२, ढा.२ / ११६