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४. इत्यादिक उण गजट में , दफा लगाई खूब।
सफा-सफा कानून में, कोइ न राखी कूब।। ५. तीन मास टाइम दियो, जन-मत जाणण हेत।
पिण कानून विपक्ष में, नहिं करणो संकेत।। ६. सन चवदह उन्नीस सौ, मास मार्च इक्कीस।
राजपत्र जोधाण रो, मुद्रित वार शनीश।। ७. सोचै अब अवलोक कर, तेरापंथ समाज।
जैन-अहितकारी हुसी, निर्णय ओ निर्व्याज।। 'सुणो श्रावक सारा, शिशु-संयम रोक सबल रे, मरुधर-नृप द्वारा।
आयो प्रस्ताव प्रबल रे, सुणो श्रावक सारा।। ८. सोचै मिल अधिकारी श्रावक, व्रत-वय-वित्त-विवेक-प्रभावक।
दृश्य बण्यो ओ हृदयद्रावक, करणो अब उपक्रम-बल रे।। ६. शैशव-वय संयम रुक ज्यासी? तरुण स्थविर ही दीक्षा पासी?
कुण होसी आगम-अभ्यासी? धुर ओ ही चिंता-स्थल रे।। १०. बिन गुरु-गम आगम रो भणणो, श्रीजिन-आणा रो अवगणणो।
तरुण स्थविर हो बहुश्रुत बणणो, गणणो ग्रह-गण-मंडल रे।। ११. जो अयोग्य नै दीक्षा देवै, तिणमें किण री सहमति रेवै?
(पर) योग्यायोग्य एक कर देवै, आ बणसी किंया मिशल रे? १२. तिण स्यूं मिल जाणो जोधाणे, करणो अति उद्यम इण टाणे।
प्रभुवर कालू पुण्य प्रमाणे, सब होसी काम सफल रे।। १३. कर विचारणा शीघ्र सिधाया, गण-हित-वंछक श्रावक धाया।
कार्य करण-हित अधिक उम्हाया, आया जोधाण संभल रे।। १४. न्यायाधीश मुख्य तिण ठामे, गोरांग ‘बार-साहिब" इण नामे। ___मुलाकात सब तिणरी पामे, तब आखै बात असल रे।। १५. नाबालिग दीक्षा रै काजे, नूतन नियम हुसी इण राजे।
तिण स्यूं तेरापंथ समाजे, है अद्भुत-सी हलचल रे।।
१. लय : तू तो पल-पल राम समर रे २. महाराजा उम्मेदसिंहजी, जोधपुर ३. श्रीचंदजी गधैया (सरदारशहर,) रूपचंदजी सेठिया (सुजानगढ़), केशरीचंदजी कोठारी
(चूरू), गणेशमलजी चंडालिया (लाड), रावतमलजी सेठिया (सरदारशहर) आदि। ४. ए. डी. सी. बार (चीफ जज, मारवाड़ स्टेट)
१२० / कालूयशोविलास-१