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छोटांजी की कर्मी पर चोट करारी', पहले उल्लासे सुणो ख्यात दीक्षा री।।
सोरठा १८. तेरस पो. बिद पक्ष, छापर छापर-वासिणी।
संयम पूज्य-समक्ष, चांदा चांद उगावियो।। १६. माघ मास बिद दूज, सुजानगढ़ में स्वामजी।
छव दीक्षा शुभ सूझ, भव सागर स्यूं उद्धर्या ।। २०. 'सिरसा रो रहवासी गणपतराम क,
मौलांजी सह संगिनीजी। सोदर-दुहिता साथ हुलासां नाम क,
___ संयम हृदय उमंगिनी जी।। २१. पंचोलै-पंचोलै दृढ़ परिणाम क,
तप आयंबिल पारणै जी। धृतिधर धीरो धार्यो गणपतराम क,
कर्म-कटक जय कारणै जी।। २२. अमीचंद मुनि मन वैराग्य अमंद क,
भोगी भ्रमर विलासियो जी। भर यौवन में न्हायो सुकृत-समंद क,
संयम में मन वासियो जी।। २३. संत किशनजी तिण पुरवासी बैद क,
छगनांजी तन-छांहड़ी जी। उभय आदर्यो संयम आण उमेद क,
पकड़ी शिवपुर-राहड़ी जी।।
लावणी छंद २४. अड़सठ्ठ माघ महोत्सव है चंदेरी,
फागण बिद तीज तीन दीक्षा शिव-सेरी।
१. देखें प. १ सं. ४५ २. लय : जिणशासण में धुर स्यूं
१०८ / कालूयशोविलास-१