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सन्दर्भ-विवरणिका डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, राजस्थान के जैन संत : व्यक्तित्व एवं कृतित्व, श्री महावीर ग्रन्थ अकादमी, जयपुर, 1990, पृष्ठ 5. विलास ए संगवे, पृष्ठ 269. वी. जोहरापुरकर, भट्टारक सम्प्रदाय, सोलापुर, 1958, पृष्ठ 7-17. विलास ए. सांगवे, पृष्ठ 270. नाथूराम प्रेमी, भट्टारक, जैन हितैषी, जिन्दी 7, नं. 7-8, पृष्ठ 59-69, नं. 9, पृष्ठ 13-24, नं. 10-11, पृष्ठ 1-9 एवं जिन्दी 8 नं. 2, पृष्ठ 57-70. डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, राजस्थान के जैन संत : व्यक्तित्व एवं कृतित्व, पृष्ठ 7. वही. वही. वही. वी. जोहरापुरकर, भट्टारक सम्प्रदाय, पृष्ठ 112-113. श्रीमत्प्रभाचन्द्रमुनीन्द्रपट्टे शश्चतप्रतिष्ठः प्रतिभागरिष्ठः। विशुद्धसिद्धान्तरहस्यरत्न-रत्नाकरी नन्दतु पद्मनन्दी।।28।। गुर्वावली, जैन सिद्धान्त भास्कर, भाग 1, किरण 4, पृष्ठ 53. चोऊद त्रितालि प्रमाणि पूरइ दिन पुत्र जनमीउ. न्याति माहि गुहुतवंत हूंवड हरषि वखणिइए। करमसिंह वितपन्न उदयवंत इस जाणीइए। शोभित तरस अरागि, मूलि सरीस्य सुंदरीय। सील स्वयगारित अंगि पेखु प्रत्यक्षे पुरंदरीय।
-सकलकीर्तिरास, जैन सन्देश, शोधांक 16 में उद्धृत. भट्टारक सम्प्रदाय, सोलापुर, लेखांक 265. "इत्यनवद्यगद्यपद्यविद्याविनोदितप्रमोदपीयूषर सपानपविनमतिसभाजरत्नराजमहतिसागरयतिराजजितार्थनसमर्थन तर्कव्याकरणछन्दोऽलंकारसाहित्यादिशात्रनिशितमतिना श्रीमद्देवेन्द्र कीर्तिभट्टारकप्रशिष्येण शिष्येण सकलविद्वज्जनविहितचरणसेवस्य श्री विद्यानन्दिदेवस्य संछदितमिथ्यामतदुर्गरेण श्रुतसागरेण सूरिणा विरचितायां श्लोकवार्तिक-राजवार्तिक-सर्वार्थसिद्धि-न्यायकुमुचन्दोदय-प्रमेयकमलमार्तण्डप्रचण्डाष्टसहस्रीप्रमुखग्रन्थसन्दर्भविलोकनबुद्धिविराजितायां" - श्रुतसागरीतत्त्वार्थवृत्ति, भारतीय ज्ञानपीठ संस्करण, पृष्ठ 326 पर उद्धृत। तथा - "तर्क-व्याकरणाहत-प्रविलसत्सिद्वांतसारामलछंदोलंकृतिपूर्वनव्यकृतधीर्सश्रव्यकाव्योच्चये" —जैनग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह, प्रथम भाग, यशोधर चरितप्रेशस्ति, पृष्ठ 31। जैन सिद्धान्त भास्कर, भाग 13, किरण 2, पृष्ठ 114. प्रमाण-प्रमेयकलिका, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, प्रस्तावना, पृष्ठ 59. विलास ए सांगवे, पु. 318. वही. वही, पृष्ठ 319.
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भगवान महावीर की परम्परा एवं समसामयिक सन्दर्भ