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२३० अलबेली आम्रपाली
बाश्रम में आने से पूर्व कादंबिनी के मन में अनेक विचार आए थे और वह इन विचारों से भारी बन गई थी। वहां से जाते समय उसका मन निर्भार बन गया था। उसे सबसे आश्चर्यकारी बात यह लगी कि वैशाली में हुई चार व्यक्तियों की मृत्यु के विषय में आचार्य ने कुछ नहीं पूछा । कैसे महान् पुरुष है ?
राहुल प्रतीक्षा करते-करते थक गया था। संगीतकार को आते देख वह खड़ा हो गया और अश्व को सामने ला खड़ा कर दिया। वह बोला-'महाराज ! बहुत समय लगा?"
"क्या तू थक गया?" "नहीं।" "तो अब हम बाजार में होकर चलेंगे।" "अभी.?" "हां, कुछ वस्त्र खरीदने हैं।" तब तो हम मध्याह्न में बाजार जाए तो ठीक रहेगा, महाराज !" "अच्छा।" कहकर कादंबिनी अश्व पर बैठ गयी। दोनों वहां से चले।
उद्यान में पहुंचने के बाद भोजन आदि से निवृत्त होकर कादंबिनी ने कुछ विश्राम किया । मध्याह्न के बाद वह श्यामा और राहुल को साथ लेकर चम्पा के बाजार में गयी। ___ सबसे पहले उसने श्यामा के लिए वस्त्र खरीदे । फिर राहुल के लिए दो धोतियां और दो उत्तरीय तथा अन्यान्य वस्त्र खरीदे। दोनों भाई-बहनों की खुशी हृदय में समा नहीं रही थी। क्योंकि उन्होंने कभी ऐसे उत्तम और मूल्यवान् वस्त्र नहीं पहने थे।
फिर कादंबिनी ने अपने लिए स्त्रियोचित वस्त्र खरीदे। इस खरीदी को देखकर श्यामा आश्चर्य में पड़ गई। उसने सोचा, क्या महाराज अपनी किसी प्रियतमा के लिए वस्त्र खरीद रहे हैं ? संगीतकार महाराज का मन क्या इस नगरी की किसी सुन्दरी ने बांध लिया है ?
परन्तु ऐसी बात कैसे पूछी जाए ?
अंगराग की सामग्री तथा अन्यान्य वस्तुएं खरीद कर वे सब जब अपने स्थान पर आए तब तक सूर्यास्त हो चुका था । वर्षा प्रारम्भ होने वाली थी।
कादंबिनी ने आकाश की ओर देखा । प्रियतमा पृथ्वी के साथ क्रीड़ा करने का इच्छुक मेघ अपनी पूर्व तैयारी में लग रहा था।
कादंबिनी ने कल्पना कर ली कि आज रात में गाज-बीज के साथ वर्षा प्रारम्भ हो जाएगी। मेघ की सवारी आ पहुंचेगी।
भले ही आए। एक नहीं बारह प्रकार के मेघ भी एक साथ आ जाएं तो