________________
अलबेली आम्रपाली २०७
"तो आपको एक महत्व का कार्य करना होगा।" कहकर आम्रपाली एक आसन पर बैठ गई।
"बोल..."
"आपको चरनायक सुनंद की कोई अच्छे वैद्य से चिकित्सा करवानी चाहिए। यह खोज करानी चाहिए कि क्या उसके ज्ञानतन्तुओं में कोई विकृति तो नहीं आ गई है ? मैं मानती हूं कि चरनायक सुनंद केवल बुद्धिहीन ही नहीं, अज्ञानी भी है। महाराज बिबिसार के साथ मेरा मिलन आकस्मिक हुआ था। जब हम यहां आए तब वे अकेले ही थे। जहां वे पहाड़ी पर भूतियागृह में थे, उस समय वहां भी उनका कोई साथी नहीं था। वहां उन्होंने एक सन्देश लिखकर छोड़ा था--- "मैं वैशाली जा रहा हूं। तू पांथशाला में आ जाना" फिर हम गीत-संगीत में सब कुछ भूल गए। बहुत दिनों के बाद महाराजा का एक साथी धनंजय मेरे भवन पर आया। दोनों कभी भी प्रासाद के बाहर नहीं जाते थे। कभी-कभी धनंजय जब ऊब जाता तब नगरी में जाता था। महाराज के साथ और कोई था ही नहीं। नगरी में अन्यत्र भी उनका कोई आदमी नहीं था। मैं उनमें तन्मय बन गई। वे मेरे में तन्मय बन गए। दोनों का तादात्म्य अपूर्व था। वे किसी षड्यन्त्र के साथ यहां नहीं आए थे। वैशाली में वे केवल चार-छह दिन ही रुकने वाले थे। वे राक्षसराज शंबुक के वन में फंस गए थे। उन्होंने संगीत के द्वारा राक्षसराज की कन्या का रोग दूर किया और वे शंबुक के मित्र बन गए । राक्षसराज ने प्रसन्न होकर उनको एक रत्नाहार भेंट किया। वह आज भी मेरे पास है। राक्षसराज ने कुछ स्वर्ण भी दिया था। उन्होंने लोक-मेला में उस स्वर्ण को याचकों में बांट डाला । लोक-मेला में वे एक सेठ के अतिथि बने थे । उस सेठ को माध्विका भी जानती है । आप उससे पूछे कि बिंबिसार के साथ क्या कोई दासी या स्त्री थी? अब रही नैशभ्रमण की बात । बापू ! उनकी सुरक्षा के लिए मैंने आज तक सत्य बात छुपा रखी है । सप्तभूमि प्रासाद पर आक्रमण होने से पूर्व उनमें कोई संशय नहीं था। वे दो दिन में यहां से जाने ही वाले थे। जब आक्रमण हुआ तब वे सामना करने के लिए तैयार हुए। मैंने उनको रोका और भूगर्भ मार्ग द्वारा बाहर के उपवन में पहुंचा दिया। इस अन्तराल में पागल बने हुए लिच्छवी यवक प्रासाद में खोजबीन कर रहे थे। माध्विका ने नैशभ्रमण की कृत्रिम बात प्रचारित की और उसमे खोजबीन करने वाले भ्रमित हो गए। उस समय आप प्रासाद पर आए और आक्रमणकारियों को भगा डाला। किसी को भी पता न लगे इसलिए माध्विका ने आपको भी यही बात कही।
"ओह..।"
"सुनिए ! वैशाली का विनाश कोई विषकन्या नहीं करेगी। चरनायक सनंद जैसे बुद्धिहीन व्यक्तियों द्वारा ही विनाश होगा । मेरी सूचना के अनुसार