________________
२०६ अलबेली आम्रपाली
" विषकन्या ! इस नगरी में विषकन्या कहां से आयी ? ऐसा तो मैंने कभी नहीं सुना ?" आम्रपाली ने आश्चर्य के साथ कहा ।
"गोपालस्वामी ने पूर्ण परीक्षण कर अपना अनुमान व्यक्त किया है... परन्तु इसमें एक कठिनाई है ।"
आम्रपाली प्रश्न भरी नजरों से सिंहनायक की ओर देखने लगी । सिहनायक ने कहा - 'पुत्रि ! तुझे यह ज्ञात ही है कि यहां के कुछेक आगेवान व्यक्ति बिंबिसार के प्रति शंकित हैं ।
"हां, इस निर्मूल आशंका के कारण ही तो जनपदकल्याणी को भयंकर अपमान सहन करना पड़ा पागल व्यक्तियों ने सप्तभूमि प्रासाद पर आक्रमण कर उसके गौरव पर पानी फेर डाला. यह बात मैं कैसे भूल सकती हूं।"
"कुमार शीलभद्र की मृत्यु से यह आशंका और भी सघन बन गई है।" " किन्तु बिंबिसार तो यहां थे ही नहीं ।"
गणनायक बोले--- " मैं युवराज को सम्पूर्ण निर्दोष मानता हूं, किन्तु यहां के कुछेक व्यक्ति उनके प्रति शंकित हैं...
..""
आम्रपाली सारी बात सुनकर आश्चर्यचकित रह गई ।
गणनायक ने कहा - " सुनन्द तो यहां तक कहता है कि बिंबिसार स्वयं अपने साथ एक विषकन्या को लाए थे और उसको कहीं गुप्त स्थान में रखा है। पुत्रि ! तू इस बात को मन में मत लाना । मैं इसीलिए तेरे पास आया हूं ।"
...
"सुनन्द के अनुमान का आधार क्या है ? क्या उसके पास ऐसा कोई प्रमाण है कि युवराज इस षड्यन्त्र में संलग्न हैं ? " आम्रपाली ने प्रश्न किया ।
" पुत्रि ! सुनन्द के संशय का आधार है योजनापूर्वक नैशभ्रमण और शीलभद्र की मृत्यु ।"
आम्रपाली अपने आसन से उठी और दो-चार कदम आगे बढ़कर रुक गई। फिर सिंहनायक के सामने देखकर बोली - "आप मेरे पूज्य हैं । आप मुझ से क्या जानना चाहते हैं ?"
इस स्पष्ट प्रश्न से सिंहनायक दो क्षण स्थिर हो गए। फिर वे बोले"बिंबिसार के साथ कोई दासी अथवा अन्य रूप में रहने वाली कोई विषकन्या नगरी में आई हो और इस सम्बन्ध में कुछ जानती हो तो।"
बीच में ही आम्रपाली बोल पड़ी- - इसका फलित यही है कि आपको भी मेरे प्रति कोई शंका है ?"
"नहीं, पुत्रि ! मैं तो अन्यान्य व्यक्तियों के संशय को दूर करने के निश्चय से ही यहां आया हूं ।"