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अलबेली आम्रपाली १७१
व्यक्ति का चेहरा स्वयं उसके दुष्ट कृत्य की मलक दे जाता है। वह कितना ही चालाक क्यों न हो, कितनी ही निपुणता से वह चालाकी क्यों न करे, वह अपनी चालाकी के जाल में फंस जाता है।
"दूसरी बात है कि आम्रपाली वैशाली के कल्याण की प्रतिज्ञा ले चुकी है। वह अपने प्रियतम को निर्दोष मानती है । वह कहती है-मैं वैशाली के शत्रु को कभी आश्रय नहीं दे सकती। फिर भी यदि पुष्ट प्रमाणों से यह प्रमाणित किया जाए कि युवराज बिंबिसार इस षड्यंत्र के मुखिया हैं तो मैं स्वयं उन्हें संथागार के वधस्तंभ पर ले आऊंगी और मैं कभी उनके वध का प्रतिरोध नहीं करूंगी। ये कितने वजनदार शब्द हैं। मैंने बिंबिसार से पूछा-उन्होंने मुक्त मन से कहा था। जब तक यथार्थ गुनहगार न पकड़ा जाए तब तक आप मुझे कारागार में डाल दें। किन्तु कुमारश्री ! मुझे उनका यह अनुरोध उचित नहीं लगा।" ___ "क्यों?" युवराज को कारागार में डाल ही देना चाहिए।" महाबलाधिकृत ने कहा।
तत्काल सिंहनायक बोले-"किस आधार पर हम उन्हें कारावास में डालें। षड्यंत्र से बिंबिसार जुड़े हुए हैं, यह हम अभी प्रमाणित नहीं कर सके हैं । बिबिसार मगध के युवराज होने के साथ-साथ जनपदकल्याणी आम्रपाली के प्रियतम भी हैं। उन पर केवल आशंका से दोष मढ़ना, कहां तक उचित हो सकता है। और युवराज को कारावास में डालने का परिणाम क्या होगा, क्या आपने कभी इसकी कल्पना की है ?"
सभी अवाक् होकर सिंहनायक की ओर देखने लगे। महाराज नंदीवर्धन ने कहा-"उसका परिणाम अत्यन्त दुःखद होगा । पहली बात तो यह होगी कि निर्दोष को दण्डित न करने की अपनी न्यायनीति कलंकित हो जाएगी और दूसरी ओर मगधेश्वर को वैशाली से युद्ध करने का बहाना मिल जाएगा''इसलिए सेनापति महोदय ! हमें बिंबिसार को बंदी नहीं बनाना चाहिए।"
सिंहनायक ने प्रसन्न स्वरों में कहा-"महाराज! आपने जो कहा, वह सच है । मगधेश्वर इस बहाने अवश्य ही वैशाली को रौंदने का प्रयास करेंगे ! हमें जब तक पूरे प्रमाण न मिलें तब तक किसी भी प्रकार अपमानजनक कदम नहीं उठाना चाहिए।"
शीलभद्र बोल उठा-"मैं गणनायक को यह विश्वास दिलाना नहीं चाहता कि हमारा सैन्यबल मगधेश्वर के अरमानों को धूल में मिलाने में समर्थ है। मैं यह भी नहीं चाहता कि अकारण ही युद्ध का वातावरण बने । परन्तु जनता में प्रतिदिन आक्रोश बढ़ता जा रहा है। यहां के लोग यह कभी सहन नहीं कर सकते कि जनपदकल्याणी का प्रियतम कोई मागध हो। यदि आम्रपाली इस परदेशी प्रियतम को अपने भवन में रखेगी तो जनता का आक्रोश कभी समाप्त नहीं होगा।