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1030. दुर्भग नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव उपकार करने पर भी एवं संबंध रखने पर भी
सबको अप्रिय लगता है उसे दुर्भग नाम कर्म कहते हैं। 1031. दुःस्वर नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव कर्कश स्वर वाला होता है उसे दुःस्वर नाम कर्म
कहते हैं। 1032. अनादेय नाम कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव का वचन अनादेय-अप्रामाणिक एवं अप्रिय
होता है उसे अनादेय नामकर्म कहते हैं। 1033. अयशः कीर्तिनाम-कर्म किसे कहते हैं? उ. जिस कर्म के उदय से जीव को अपयश और अकीर्ति मिलती है उसे अयशः
कीर्तिनाम-कर्म कहते है। 1034. उपरोक्त नाम कर्म की प्रकृतियों में शुभ नाम कर्म की कितनी हैं? उ. शुभ नाम कर्म के अनंत भेद हैं, किन्तु मुख्य भेद सैंतीस (37) हैं___ 1. मनुष्य गति
2. देव गति 3. पंचेन्द्रिय जाति 4. औदारिक शरीर 5. वैक्रिय शरीर
6. आहारक शरीर 7. तैजस शरीर
8. कार्मण शरीर 9. समचतुरस्र संस्थान 10. वज्रऋषभनाराच संहनन 11. औदारिक अंगोपांग 12. वैक्रिय अंगोपांग 13. आहार अंगोपांग 14. प्रशस्त वर्ण 15. प्रशस्त गंध
16. प्रशस्त रस 17. प्रशस्त स्पर्श
18. मनुष्यानुपूर्वी 19. देवानुपूर्वी
20. अगुरुलघु 21. पराघात
22. उच्छ्रास 23. आतप
24. उद्योत 25. प्रशस्त विहायोगति 26. त्रस 27. बादर
28. पर्याप्त 29. प्रत्येक
30. स्थिर 31. शुभ
32. सुभग 33. सुस्वर
34. आदेय 35. यश:कीर्ति 37. तीर्थंकर नाम।
36. निर्माण
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कर्म-दर्शन 213