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1035. अशुभ नाम कर्म की कितनी प्रकृतियां हैं? उ. चौतीस ।
1. नरकगति
3. एकेन्द्रिय जाति
5. त्रीन्द्रिय जाति
7. ऋषभनाराच संहनन
9. अर्द्धनाराच संहनन
11. सेवार्त संहनन
13. सादिज संस्थान
15. कुब्ज संस्थान
17.
अप्रशस्त वर्ण
19.
अप्रशस्त रस
21. नरकानुपूर्वी
23. उपघात
25.
स्थावर
27. साधारण
29. अस्थिर
31. दुर्भग 33. अनादेय
2.
4.
6.
8.
10.
12. न्यग्रोध परिमण्डल संस्थान
14. वामन संस्थान
16.
हुण्डक संस्थान
18.
अप्रशस्त गंध
अप्रशस्त स्पर्श
तिर्यंचगति
द्वीन्द्रिय जाति
चतुरिन्द्रिय जाति
नाराच संहनन
कीलिका संहनन
20.
22. तिर्यंचानुपूर्वी
24. अप्रशस्त विहायोगति
1036. नाम कर्म बंध के कितने कारण हैं? उ. नाम कर्म बंध के छह कारण हैं
26. सूक्ष्म
28. अपर्याप्त
30. अशुभ
32. दुःस्वर
34.
अयश: कीर्तिनाम
1. कायऋजुता - दूसरों को ठगने वाली शारीरिक चेष्टा न करना । 2. भावऋजुता - दूसरों को ठगने वाली मानसिक चेष्टा न करना । 3. भाषाऋजुता - दूसरों को ठगने वाली वचन की चेष्टा न करना । 4. अविसंवादन योग-कथनी और करनी में विसंवादन न करना ।
शुभ नाम कर्म बंध के कारण हैं और इनके विपरीत करना अशुभ नाम कर्म बंध के कारण हैं। जैसे—काय वक्रता, भाव वक्रता, भाषा वक्रता और विसंवादन योग ।
1037. नाम कर्म की स्थिति कितनी है ?
उ. जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट बीस करोड़ाकरोड़ सागर । 214 कर्म-दर्शन