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1020. स्थावरदशक प्रकृतियां कौन-कौनसी हैं ?
उ. स्थावरदशक प्रकृतियां (1) स्थावर, (2) सूक्ष्म, (3) साधारण,
(4) अपर्याप्त, (5) अस्थिर, (6) अशुभ, (7) दु:भग, (8) दु:स्वर, (9) अनादेय, (10) अयश: कीर्ति ।
1021. स्थावर नाम कर्म किसे कहते हैं ?
उ. जिस कर्म के उदय से जीव स्वतंत्र रूप से गमनागमन नहीं कर सकता, उसे स्थावर नाम कर्म कहते हैं।
1022. स्थावर नाम कर्म का उदय किन-किन जीवों के होता है ?
उ. एकेन्द्रिय जीवों के ।
1023. सूक्ष्म नाम कर्म किसे कहते हैं?
उ. जिन जीवों का शरीर दृष्टिगम्य नहीं होता वे सूक्ष्म कहलाते हैं। जिस कर्म उसे जीव को सूक्ष्म शरीर की प्राप्ति हो, जो आंखों से नहीं देखा जा
सकता हो, वह सूक्ष्म नाम कर्म कहलाता है।
1024. सूक्ष्म जीव कहां रहते हैं ?
उ. सूक्ष्म जीव पूरे लोक में व्याप्त हैं।
1025. साधारण नामकर्म किसे कहते हैं?
उ. जहाँ एक शरीर में अनन्त जीव होते हैं उसे साधारण कहते हैं। जिस कर्म के उदय से जीव को एक शरीर में अनन्त जीवों के साथ रहना पड़ता है, उसे साधारण नाम कर्म कहते हैं।
1026. किन-किन जीवों में साधारण नाम कर्म का उदय होता है?
उ. मात्र वनस्पतिकायिक जीवों में ।
1027. अपर्याप्त नाम कर्म किसे कहते हैं ?
उ. जिस कर्म के उदय से जीव स्वयोग्य पर्याप्तियां पूर्ण न कर सके और पहले ही मरण को प्राप्त हो, उसे अपर्याप्त नाम कर्म कहते हैं।
1028. अस्थिर नाम कर्म किसे कहते हैं?
उ. जिस कर्म के उदय से जीव के अवयव कमजोर, ढीले व अस्थिर होते हैं, उसे अस्थिर नाम कर्म कहते हैं।
1029. अशुभ नाम कर्म किसे कहते हैं?
उ. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर सुन्दर नहीं होता है, उसे अशुभ नाम कर्म कहते हैं।
212 कर्म-दर्शन