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72. जैमिनी सूत्र; 1/1/3,5/2/9
73. जैन साहित्य का इतिहास पूर्वपीठिका; पृ. 714
74. तत्त्वार्थ भाष्य टीका, भा. 2; पृ. 123
75. धवला टीका, पु. 1 ; पृ. 108 76. कौटिल्य अर्थशास्त्र ; 1-6
77. महाभारत सभापर्व ; अ. 36
78. (क) महाभारत आदिपर्व ; अ. 64
79. सुत्तपिटक, दीघ निकाय, सामञ्ञसुत्त ; पृ. 41-53
80. सूत्रकृतांग चूर्णि; पृ. 206 अज्ञानिकवादिमतं नवजीवादीन् सदादि सप्तविधान् । भावोत्पत्तिः सदसद् द्वैताऽवाच्यं च को वेत्ति ? ॥
81. सूत्रकृतांग निर्युक्ति.गा. 111, ... विणइत्ता वेणइवादी 82. वह गा. 111, चूर्णि; पृ. 206,
वेणइवादिणो भांति - ण कस्स णि पासंडस्स गिहत्थस्स का णिंदा कायव्वा, , सव्वस्सेव विणीय विणयेण होतव्वं ।। 83. (क) सूत्रकृतांग निर्युक्ति; गा. 113 चूर्णि पृ. 206
वेणइयवादीणं बत्तीसा दाणामा - पणामादि प्रव्रज्यादि । (ख) सूयगडो; 1/12/1, सूत्रकृतांग चूर्णि; पृ.207 वेणया तु दाणा-पाणामादीया कुपासंडा ।
84. भगवई ; 3/34
85. वही; 3/102
86. नायाधम्म कहाओ - 1/5/59
87. धम्मसंगणि; पृ. 277
88. (क) स्थानांग; 4/ 530, उत्तराध्ययन; 18 / 23
89. सूयगडो, 1/12/21
90. उद्धृत भगवती भाष्य पृ. 1911 91. दीघनिकाय; 1/2, पृ. 24 92. (क) दीघनिकाय; 1/2/4/17 (ख) सूयगडो द्वितीय; 1/23-26 93. सूयगडो; 1/13-14 टि. पृ. 25 94. सूयगडो; 1 /28-40 95. सूयगडो द्वितीय श्रुतस्कंध 13-22 96. सूयगडो; 2/1/27, ठाणांग, 3 / 337
97. सु.श्रु-1 अ. 12 गा. 118
98. आवश्यक सूत्र; 4
28
(क) सूयगडो द्वितीय श्रुतस्कंध 1/23-26
अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्या: क्रिया