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20. कषाय पाहुड, जय धवला, पृ. 134
21. सूत्रकृतांग शीलांक वृत्ति, पत्रांक 222-223 का सारांश
22. दशाश्रुत स्कन्ध; 6/7
अहियवाई, आहिय-पणे, आहिय-दिट्ठी सम्मावादी नीयावादी संति परलोकवादी..। 23. सूयगड़ो, भाग 1; 12/20-21
अत्ता जो जाइ जो य लोग, जो आगति जाणइऽणागतिं च।
जो सास जाण असासयं जाण असासयं च जाति मरणं च चयणोववातं | 201
24. (क) तत्त्वार्थवार्तिक; 8 / 1
(ख) षड्दर्शन समुच्चय ; पृ. 13
25. सूत्रकृतांग नियुक्ति गा; 112
91. (क) सूयगडो द्वितीय श्रुतस्कंध 1/23-26
26. Jacobi Herman, Jain Sutras, Part II, 1980 Introduction P. XXV
27. Sikdar, J. C. Studies in Bhagawati Sutra
28. सूत्रकृतांग चूर्णि; पृ.254
29. पाणिनी कृत व्याकरण; सू 4/181
30. (क) पाणिनी भाष्य, पृ. 321
(ख) पाणिनी व्याकरण; सू. 4-1-104
31. धवला टीका; पु. 1 पृ. 107 32. तत्त्वार्थ भाष्य टीका; पृ. 61
33. बृहदारण्यक; 3-7-1, 6-3-1 34. तत्त्वार्थ टीका भाग 2; पृ. 55
35. हेमाद्रि सिद्ध कल्प; पृ. 75
36. जैन साहित्य का इतिहास पूर्व पीठिका, पृ. 226
37. सूत्रकृतांग नियुक्ति ; गा. 118
38. सूत्रकृतांग चूर्णि; पृ. 256
39. सूयगडं सुत्तं (मुनि जंबु विजय बम्बई 1978, प्रस्तावना पृ. 10 टिप्पण संख्या 3) 40. दशाश्रुतस्कंध; 6/3
अकिरियावादी यावि भवति नाहियवादी नाहियपण्णे नाहियवदिट्ठी, नो सम्मावादी, नो नितियावादी, न संति - परलोकवादी, ....।
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41. दशाश्रुतस्कंध; 6/6
42. स्थानांग; 8/22
43. (क) सूत्रकृतांग; 1/1/9, 1/1/64-67,2/1/32
अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया