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शाखा को बहुधा यजुर्वेद या कासनेय संहिता ही कहा गया है। इसके संस्थापक माध्यन्दिन का उल्लेख अज्ञानवादियों में मिलता है। 8. मौद और पैप्पलाद __ ये दोनों अथर्ववेद के चरण थे। इन दोनों चरणों में ज्ञान सा चर्य था। अथर्ववेद परिशिष्ट में मौद का मत दिया है। स्कंध पुराण के अनुसार पिप्पलाद सुप्रसिद्ध याज्ञवल्क्य का ही एक सम्बन्धी था। प्रश्नोपनिषद् के प्रारंभ में लिखा है- भगवान पिप्पलाद के पास सुकेशा भारद्वाज आदि छह ऋषि गये थे। पिप्पलाद महाविद्वान और समयज्ञ पुरुष थे। 9. बादरायण
मत्स्य पुराण के अनुसार - वेदव्यास का एक नाम बादरायण भी था।1 जैमिनी सूत्रों में भी बादरायण का निर्देश है।2 एक बादरायण स्मृतिकार भी हुए हैं। अज्ञानवादियों के अन्तर्गत अकलंक ने संभवत: सूत्रकार बादरायण का निर्देश किया है। 10. अम्बष्ठिकृद् और औरिकायन ____ बादरायण के पश्चात् तत्त्वार्थवार्तिक में प्रदत्त दो नामों को लेकर पाठान्तर मिलते हैं। यथा- 'अम्बष्ठिकृदौ विकायनी अम्बष्ठि कृदैलिकायन, अम्बरीश दैतिकायन'। सिद्धसेनगणी की तत्त्वार्थ भाष्यानुसार टीका में स्विष्ठिकृद् अनिकात्यायन मुद्रित है।74 धवला टीका में 'स्वेष्ठकृदैतिकायन' नाम दिये गये है। 5 अंगिराकुल के मंत्रदृष्टाओं में अम्बरीश एक मंत्रदृष्टा हुआ है। अम्बरीश प्राचीन राजा था। महाभारत और कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी उसका नामोल्लेख है।76 11. वसु
___ व्यासमुनि के पास ऋग्वेद पढ़नेवाले शिष्य का नाम पैल था। महाभारत में प्राप्त उल्लेख के अनुसार युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय ऋत्विक कर्म के लिये व्यास पैल को साथ लाये थे।7 पुराण के अनुसार व्यास से ऋग्वेद पढ़कर पैल ने उसकी दो शाखाएं स्थापित की थी। उनके अध्येता थे वाष्कल और इन्दुप्रमति। ब्रह्माण्डपुराण' के अनुसार उस इन्दुप्रमति के पुत्र वसु और वसु का पुत्र उपमन्यु था। 12. जैमिनी
जैमिनी नाम के कई विद्वान हो चुके हैं। एक जैमिनी व्यास ऋषि के शिष्य थे।78 महाभारत सभापर्व से ज्ञात होता है कि युधिष्ठिर के सभाप्रवेश के समय जैमिनी उपस्थित थे। 16
अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया