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15. तत्त्वार्थ राजवार्तिक; 2/49 पृ. 153 16. अनुयोग द्वार चूर्णि; पृ. 6 17. तत्त्वार्थ सूत्र; 2/49 18. तत्त्वार्थ भाष्य ; 2/37 19. जैनेन्द्र सिद्धांत कोश, भाग 2 ; पृ. 75 20. सर्वार्थसिद्धि; 2.60.191.9 21. अनुयोगद्वार मलधारीय वृत्ति; पृ. 181 22. जैन धर्म जीवन और जगत् ; पृ. 48-49 22. (ख) जैनधर्म जीवन और जगत् 49 23. भगवती वृत्ति ; 1/224 अस्थि संचय रूपं च संहननमुच्यते इति। 24. समवाओ; 190 25. जैनेन्द्र सिद्धांत कोश, भा. 4 ; पृ. 156 26. भगवती; 1/24 27. भिक्षु आगम विषय कोश; पृ. 666-667 28. प्रेक्षाध्यान सिद्धांत और प्रयोग; पृ. 93 29. स्थानांग; 6/30 30. (क) स्थानांग; 6/31
(ख) तत्त्वार्थ राजवार्तिक; 576,577 (ग) भगवई;1/9
(घ) धवला; भाग-5,पृ.13 सू. 107पृ. 365 उद्धृत - भगवई भाष्य खण्ड, 1, पृ. 15 31. पंचदशी; 3/1/11 32. सांख्यकारिका, 39-40 संसरति निरुपभोगं भावैरधिवासितं लिंगम्। 33. वेदान्तसार; पृ. 35 34. वही; 35. भगवती टीका; पृ. 134-135 36. भगवती भाष्य; 1/350-360 37. वही; 38. अष्टांग-हृदय, (शरीर स्थान), 3/4-5 39. चरक संहिता, (शरीर स्थान), 3/6-7
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अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया