________________
हैकि हार्मोन्स उसके अवयवों को गति प्रदान करते हैं। अनेक प्रयोगों द्वारा यह ज्ञात किया गया कि ग्रंथियों को निकालने पर उसकी आंगिक क्रियाएं अवरुद्ध हो जाती हैं।
गोनाड्स, एड्रीनल, थाईराइड, पेंक्रियाज, पिच्युटरी ग्रंथियों के हार्मोन्स पर प्रयोग करके शरीर वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि प्रत्येक हार्मोन्स का जीव की क्रियाओं पर एक विशेष प्रभाव पड़ता है। चूहों पर इंजेक्सन द्वारा हार्मोन्स की मात्रा कम या अधिक की गई। उससे चूहों की क्षमता एवं दैहिक क्रियाओं में परिवर्तन हो गया। संक्षेप में कहा जा सकता है कि स्राव के अल्पस्रवण या अतिश्रवण से जो प्रभाव या लक्षण प्रकट होते हैं, व्यक्तित्व-निर्माण में उनका बड़ा योग है।
हमारी वृत्तियां, वासनाएं, क्रियाएं, आवेग या आवेश अन्तःस्रावी ग्रंथि तंत्र की ही अभिव्यक्तियां हैं । ग्रंथि तंत्र ही सभी आदतों का उद्गम स्थल है। नाड़ी तंत्र में तो वे अभिव्यक्त होती हैं।
1
नाड़ी तंत्र में मुख्य कार्य चार हैं- 58
(अ) संज्ञापन - सूचना को वातावरण से तथा शरीर के अन्दर से प्राप्त कर उसे मस्तिष्क तक पहुंचाना एवं मस्तिष्क से पुनः शरीर तक संदेश भेजना।
(ब) समन्वय शरीर की विभिन्न क्रियाओं को नियंत्रित करना, जिससे व्यवहार समन्वित हो सके।
(स) संचयन- अनुभवों का संचयन करना, जिससे बाद में भी वे कार्य के आधार बन सके।
(द) कार्ययोजन - भविष्य के कार्यों की योजना बनाना।
संवेगात्मक व्यवहार
मनोविज्ञान में संवेग का आधार स्व चालित तंत्रिका तंत्र तथा विभिन्न अन्तःस्रावी ग्रंथियों के स्रावों को माना गया है। सामान्य रूप से संवेग की व्याख्या तीन रूपों में की जा सकती है
352
(1) संवेग एक चेतन अवस्था के रूप में
(2) संवेग व्यवहार के रूप में
(3) संवेगीय अनुभव
1. विभिन्न दार्शनिकों एवं मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बाह्य घटनाओं के प्रत्यक्षीकरण
अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया