________________
(2) पेशी तंत्र- शरीर में स्नायुओं की रचना जाल की तरह होती है। इनका वजन शरीर के वजन का 50 प्रतिशत है। स्नानु पेशियां तंतुओं से निर्मित है जो हलन - चलन में सहयोगी बनती हैं। स्नायु संयुक्त रूप से कार्य करते हैं। वे दो प्रकार के हैंऐच्छिक व अनैच्छिक।
___ ऐच्छिक-ऐच्छिक स्नायु अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करते है। जैसे हाथ-पैर, पेट, मस्तक, आंख, मुंह आदि के स्नायु।
. अनैच्छिक- अनैच्छिक स्नायु स्वाभाविक रूप से क्रियाशील हैं। वे हमारी इच्छा के अनुसार कार्य नहीं करते। जैसे- श्वासोच्छ्वास, पाचन, अवशोषण आदि।
(3)त्वचा तंत्र- त्वचा शरीर पर प्लास्तर की तरह है। त्वचा अंदरूनी ऊत्तकों की सुरक्षा करती है। त्वचा दो प्रकार की होती है- बाह्य त्वचा और अंदरूनी त्वचा। ये विभिन्न प्रकार के संवेदनों - ऊष्मा, ठंड, कोमल, कठिन, दर्द आदि स्पर्श की सूचना मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं। त्वचा स्नायु और चर्बी का रक्षण करती है। शरीर का तापक्रम नियंत्रित करती है। अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन करती है। इसमें अल्ट्रा वायलेट किरणों की क्रिया द्वारा विटामिन डी का निर्माण होता है।
यह संवेदनों को ग्रहण करने का मुख्य साधन है जिससे हम वातावरण के प्रति सचेत रहते हैं। स्वेद-ग्रंथियां, केश, नाखून और वसामय ग्रंथियां आदि इसके सहायक अंग हैं।
(4) तंत्रिका तंत्र- यह शरीर का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तंत्र है। सभी तंत्रों का नियंत्रण और संयोजन इसी के द्वारा होता है। यह शरीर के समग्र क्रिया कलापों का संचालक है। किसी कारण से यदि नाड़ीतंत्र विफल हो जाये तो शरीर की सूक्ष्म एवं स्थूल सभी क्रियाएं बंद हो जाती हैं। इसके अभाव में आंखों का उन्मेष - निमेष तथा श्वासोच्छ्वास भी लेना संभव नहीं है। तंत्रिका - तंत्र के संरचनात्मक ढांचे को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है- 1. केन्द्रिय तंत्रिका-तंत्र 2.परिधिगत-तंत्रिका-तंत्र। ___1. केन्द्रिय तंत्रिका-तंत्र- यह तंत्र शरीर में विभिन्न अंगों का नियंत्रण, संचालन के लिये सूचना और संपर्क का काम करता है। इसके मुख्य दो अंग हैं- (अ) मस्तिष्क (ब) सुषुम्ना या मेरूदण्ड। मस्तिष्क और सुषुम्ना का सेतु है- कपालरन्ध्र ।उसके ऊपर का भाग मस्तिष्क तथा नीचे का हिस्सा सुषुम्ना है।
328
अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया