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है। चुम्बकत्व किसी भी अणु का स्वाभाविक गुण है। अणु-परमाणु में यह चुम्बकी शक्ति उसके भीतर विद्युत आवेशित कणों की गति के कारण है।
गुरू- लंघु - गुरू- लघु भार और भारहीनता के सूचक गुण हैं। विज्ञान में हल्केपन-भारीपन को द्रव्यमान कहते हैं। स्थूल पदार्थों में भार या संहति होती है। कुछ ऐसे पदार्थ भी है जिनमें भार नहीं होता। पारा, सोना भारी द्रव्य हैं। जबकि ऑक्सीजन, हाईड्रोजन जैसी गैसें हवा से भी हल्की हैं। लीथियम धातु सभी ठोस पदार्थों में अधिक हल्की मानी जाती है। जहां एक घन फुट अल्मुनियम का भार 169 पौंड है, वहां एक घन फुट लीथियम को भार केवल 33 पौंड है। आधुनिक विज्ञान ने भी इस तथ्य को उजागर किया है कि स्थूल से सूक्ष्म की और प्रस्थित परमाणु के छोटे-छोटे कण भार आदि गुणों से रहित हो जाते हैं। जैसे - प्रोटोन, न्यूट्रॉन आदि। यहां लगता है जैन दर्शन और विज्ञान शब्द भेद से एक ही तथ्य का निरूपण कर रहे हैं।
समासीकरण और व्यायतीकरण भी उसकी मौलिक विशेषता है। संकोच - विस्तार गुण के कारण ही कभी -कभी थोड़े से परमाणु विस्तृत आकाश खण्ड को घेर लेते हैं तो कभी वे ही परमाणु घनीभूत होकर बहुत छोटे से आकाश प्रदेश में समा जाते हैं। यह क्रमशः उनका व्यायतीकरण और समासीकरण है। असंख्यात प्रदेश वाले लोक में अनन्तानंत पुद्गल परमाणु रहे हैं? सूक्ष्म परिणमन और अवगाहन शक्ति के कारण ये परमाणु स्कंध निर्विरोध रह सकते हैं।
मृदु-कर्कश
कोमलता और कठोरता भी पुद्गल के परिणमन हैं। वैज्ञानिकों ने परमाणुओं की सूक्ष्म परिणति को मान्यता दी है। उनके अनुसार पृथ्वी के परमाणु यदि सघनता धारण करे तो वे बच्चे के खेलने वाली छोटी सी गेंद के समान बन जाये। सबसे छोटे तारे के एक क्युबिक इंच में 16740 मन भार आंका गया। वह घनीभूत होकर छोटे से आकाश देश में समा सकता है।
परमाणु अति सूक्ष्म है। इस संदर्भ में अनेक संवादी तथ्य सामने आये हैं, जैसेबालु के छोटे से कण में दस पद्म से अधिक परमाणु हैं। एक पिन के सिरे में 55,000,000,000,000,000,000 परमाणु समाविष्ट हो जाते हैं। सोडावाटर को गिलास में डालने पर जो छोटी-छोटी बूंदें निकलती है उनमें से एक बूंद के परमाणु को गिनने के लिये संसार के तीन अरब व्यक्तियों को बिठाया जाये और वे प्रति मिनिट 300
क्रिया और परिणमन का सिद्धांत
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