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(3) खण्ड-तोड़ने से छोटे- छोटे टुकडे होना, खण्ड कहलाता है। जैसे पत्थर,
लोहे आदि के टुकड़े। (4) प्रतर -परत दर परत उतरने को प्रतर कहा जाता है, जैसे अभ्रक के दल। (5) अनुतटिका-टूटने के साथ वस्तु में दरार का पड़ जाना अनुतटिका है,
___ जैसे तालाब की दरारें। स्कंध की प्रक्रिया
'भेदसंघातेभ्यः' और 'भेदादणुः'31 सूत्रों से स्पष्ट है कि स्कंधों की उत्पत्ति कभी भेद से, कभी संघात से और कभी भेद-संघात दोनों से होती है। कुछ परमाणुओं का एक स्कंध से पृथक् होना भेद है। दो स्कंधों या परमाणुओं का संयोग संघात है। इन दोनों प्रक्रियाओं का एक साथ होना भेद-संघात है।
दो परमाणु पुद्गल के संयोग से द्विप्रदेशी स्कंध बनता है और द्विप्रदेशी स्कंध पृथक् होकर दो परमाणु बन जाते हैं। तीन परमाणु का संयोग त्रिप्रदेशी स्कंध होने पर उसके दो विकल्प बनते है- अलग-अलग तीन परमाणु अथवा एक परमाणु और द्विप्रदेशी स्कंध। इसी प्रकार चार परमाणु के मिलने से चतुःप्रदेशी स्कंध बनता है, उसके विभाजन के चार विकल्प हैं- एक परमाणु और त्रिप्रदेशी स्कंधा दो द्विप्रदेशी स्कंधा दो पृथक्-पृथक् परमाणु और एक द्विप्रदेशी स्कन्ध। चारों पृथक् - पृथक् परमाणु।
(5) स्पर्श- स्पर्श भौतिक पदार्थों का अनिवार्य गुण है। स्पर्श के आठ प्रकार हैं- शीत-उष्ण, स्निग्ध-रूक्ष, गुरु-लघु और मृदु-कर्कशा32 स्निग्ध और रूक्ष तथा शीत और उष्ण गुणों की मात्रा में तारतम्य होने पर शेष चार स्पर्शों की उत्पत्ति होती है।
शीत-उष्ण-विज्ञान की भाषा में ये तापमान के वाचक हैं। तापमान पदार्थों में भी पाया जाता है। पदार्थों का ठोस, द्रव या गैस रूप धारण करना तापमान पर निर्भर है। तापमान शून्य डिग्री से करोड़ो डिग्री उपर तथा कई डिग्री नीचे तक पाया जाता है।
निग्ध-रूक्ष-स्निग्ध और रूक्ष ये दो संयोजक शक्तियां हैं। आधुनिक विज्ञान की भाषा में घन आवेश और ऋण आवेश की संज्ञा दी गई है। घन (+) और ऋण (-) विद्युत् शक्ति परमाणु से लेकर स्थूल द्रव्य में सर्वत्र विद्यमान है। वैज्ञानिक अभिमत से ब्रह्माण्ड में प्रत्येक कण दूसरे कणों को आकर्षित करते रहते हैं, इसे गुरुत्वाकर्षण कहा
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अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया