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106. मूलाराधना; 3/216 107. ठाणं; 7/49
सत्तविहे कायकिलेसे पण्णत्ते तं जहा -
ठाणातिए, उक्कुडुयासणिए, पडिमठाई, वीरासणिए, णेसज्जिए, दंडायतिए, लगंडसाई। 108. वसुनन्दि श्रावकाचार; 351 109. तत्त्वार्थ सूत्र; 9/13 की श्रुत सागरीय वृत्ति 110. ठाणं; 4/2/278 की टीका 111. भगवई; 25/7 112. वही 113. भगवती; 25/7, औपपातिक 30 114. ठाणं; 10/73 115. तत्त्वार्थवार्तिक; 9/22 116. औपपातिकसूत्र; 40 117. ठाणं; 7/130 118. भगवई; 25/7/802 119. (क) औपपातिक; सूत्र 40
(ख) नवपदार्थ, निर्जरा ढाल; पृ. 660-661 120. ठाणं; 10/17 पृ. 961-962
दसविहे वेयावच्चे पण्णत्ते, तं जहा -आयरियवेयावच्चे, उवज्झायवेयावच्चे, थेरवेयावच्चे, तवस्सियवेयावच्चे, गिलाणवेयावच्चे, सेहवेयावच्चे, कुलवेयावच्चे, गणवेयावच्चे,
संघवेयावच्चे, साहम्मियवेयावच्चे। 121. तत्त्वार्थ सूत्र; 8/23 सर्वार्थसिद्धि 122. भगवती; 1.3 123. उत्तराध्ययन; 30/7 टिप्पण से उद्धृत 124. वही; 9/22 श्रुत सागरीय वृत्ति 125. वही; 9/23 श्रुत सागरीय वृत्ति 126. वही; 9/24 श्रुत सागरीय वृत्ति 127. वही; 9/25 श्रुत सागरीय वृत्ति 128. तत्त्वार्थ सूत्र; 9/26 श्रुत सागरीय वृत्ति 129. वही; 3/3 प्र. 11 की टीका 130. तत्त्वार्थसूत्र; सर्वार्थसिद्धि; 1/4 131. प्रज्ञापना सूत्र, मलयवृत्ति; पत्र 397 132. भगवती; 41/1 पृ. 935
क्रिया और अन्तक्रिया
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