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प्रथम तीन नरक, असुर कुमार तक के देव एक दो अथवा तीन या उत्कृष्ट 10 जीव एक समय में अन्तक्रिया करते हैं। इसी प्रकार सब जीवों के लिए देखिए निम्न चार्ट
जीव
प्रथम तीन नारक, असुरकुमार
नित कुमार तक के देव असुरकुमार आदि की देवियां
पंकप्रभा के नारक
पृथ्वी, अप्काय वनस्पति
मनुष्य, वाणव्यंतर, ज्योतिष
मनुष्यस्त्री
वाणव्यंतर देवियां.
ज्योतिष देवियां
वैमानिक देव
वैमानिक देवियां
समय
1 समय
1 समय
1 समय
1 समय
1 समय
1 समय
1 समय
1 समय
1 समय
1 समय
1 समय
संख्या
1 से 10
1 से 5
1 से 4
1 से 4
1 से 6
1 से 10
1 से 20
1 से 5
1 से 20
1 से 108
1 से 20
इस विषय में मंडितपुत्र के कुछ प्रश्न है जो अन्तक्रिया के स्वरूप को समझने में सहायता करते हैं।
प्रश्न- भंते! क्या एजनादि क्रिया नहीं करनेवाला अन्तक्रिया करता है ? 146
उत्तर - हां मंडितपुत्र ! जो एजनादि क्रिया रहित हैं, उन भावों में परिणमन नहीं करता, आरंभ, सारंभ, समारंभ नहीं करता, प्राण, भूत, जीव सत्व को पीड़ित नहीं करता, उस कम्पन रहित जीव की अन्तक्रिया होती है। अतीत में अनन्त जीवों ने ऐसी अन्तक्रिया की है, वर्तमान में कर रहे हैं और भविष्य में करेंगें।
प्रश्न- क्या संवृत अणगार अन्तक्रिया करता है ?
उत्तर- हां, करता हैं। वह आयुष्य को छोड़कर सघन रूप में बंधी हुई अन्य कर्मप्रकृतियों को शिथिल बंधन वाली करता है। दीर्घकालिक कर्म - प्रकृत्तियों को अल्पकालिक, तीव्रानुभव वाली को मंदानुभव तथा बहुप्रदेश वाली को अल्प प्रदेश वाली करता है, आयुष्य कर्म का बंध नहीं करता, असातावेदनीय का उपचय नहीं करता । संसाररूप अटवी को पार कर जाता है, अतः संवृत अणगार के अन्तक्रिया होती है। क्रिया और अन्तक्रिया
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