________________
द्रव्यत: अवमौदर्य के दो प्रकार हैं- भक्त-पान अवमौदर्य, उपकरण अवमौदर्यी भक्तपान अवमौदर्य के पांच प्रकार है -
1. आठ ग्रास खानेवाला अल्पाहारी होता है 2. बारह ग्रास खाने वाला अपार्द्ध अवमौदर्य होता है। 3. सोलह ग्रास लेने वाला अर्द्ध अवमौदर्य होता है। 4. चौबीस ग्रास लेने वाला पौन अवमौदर्य होता है। 5. इक्कीस ग्रास लेने वाला अवमौदर्य होता है।
(1) ग्रास का परिमाण मुर्गी के अण्डे89 या हजार चावल जितना माना गया है।90 यह द्रव्य से भक्तपान अवमोदरिका है।
(2) नाना प्रकार के क्षेत्र भिक्षा के लिये होते हैं। उनमें अमुक क्षेत्र में भिक्षा करूंगा साधु का ऐसा संकल्प क्षेत्र से भक्तपान अवमोदरिका है।
(3) दिवस सम्बन्धी चारों प्रहर में जितना काल रखा हो, उस नियत काल में साधु का भिक्षाटन करना काल अवमौदर्य है। आगम में तीसरे प्रहर में भिक्षा करने का विधान है। तीसरे प्रहर के भी दो-दो घड़ी प्रमाण चार भाग होते हैं। इन चार भागों में से किसी अमुक भाग में ही भिक्षा के लिये जाने का अभिग्रह काल की अपेक्षा से अवमौदर्य है।
(4) स्त्री अथवा पुरूष, अलंकृत या अनलंकृत, वयस्क या प्रौढ़, अमुक वस्त्र का धारक या अन्य किसी विशेषता से पूर्ण व्यक्ति के भोजन पानी आदि देगा तो ग्रहण करूंगा अन्यथा नहीं- इस प्रकार के भाव अवमोदरिका का एक अर्थ क्रोध, मान, माया, लोभ, कलह आदि को कम करना भी है।
उपकरण अवमोदरिका तीन प्रकार की है(1) एक वस्त्र से अधिक का उपयोग न करना। (2) एक पात्र से अधिक का उपयोग न करना।
(3) मलीन वस्त्र- पात्रों मे अप्रीतिभाव का होना। यदि उपकरण में मूर्छा है तो इस मूर्छा को कम करना। उपकरण अवमोदरिका है।92 अभिग्रह पूर्वक भिक्षाटन करना भाव से अवमौदर्य है।
250
अहिंसा की सूक्ष्म व्याख्याः क्रिया