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मानव शरीर में चेतना केन्द्र और ग्रहों का आधिपत्य
-सारन (शीन)
गति (केतु) शान देना
जीनीयन रमेन -
जना (एस) -
की गति ....
आयशा . YTHYROID CAEN
बिशुष्टि केन्द्र (पन्द्रमा
पेशधायशेयर TARATHYROID CLARO
मन मेण्ट YMUS GLAND)
भानन्द न(मंगम)--
नए ..
SRLNA: GLAND)
(SPINAL CONCE
सेजस केन्द्र (सूर्य)
कोरुड - VENTIRAL
Couna
म्वास्थ्य केन(क) .--- शक्ति केक (ग) +
Toonk
...बरण COLUM
जब हमारा संज्ञान (चेतना) आत्मा से संपर्क स्थापित कर लेता है या यों कहा जाए कि इलेक्ट्रॉन नाभिक में विलीन हो जाता है तो स्थिति बदल जाती है उस समय व्यक्ति की क्षमता सूर्य की तरह शरीर के अणु-अणु में प्रखर हो उठती है। लौकिक दृष्टि से सूर्य के गुण धर्म और शरीर में जो नाभिक-Nucleus है उसके गुण धर्म समान है। हम उस दुनियां में जी रहे हैं जहां एक वस्तु का प्रभाव
ग्रह शांति और तीर्थंकर जप / ११५