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नोट
जिस कल्याणक में जिस तीर्थंकर का च्यवन, जन्म, दीक्षा, केवलज्ञान या निर्वाण दिन हो उस दिन उस तीर्थंकर का नाम मंत्र जप से पूर्व जोड़ देना चाहिए। जैसे आज महावीर स्वामी का निर्वाण कल्याणक दिन है, तो आज साधक 'महावीर पारंगताय नमः' इस पद का दो हजार जप करेगा। पद्मप्रभु के जन्म कल्याणक के दिन 'पद्मप्रभाते नमः' पद का जप करेगा ।
जिज्ञासा
लोगस्स का पाठ दूसरे आवश्यक के रूप में है तो इसे प्रतिक्रमण के सिवाय अन्य समय में क्यों पढ़ा जाता है।
समाधान
आवश्यक सूत्र के पाठ मात्र प्रतिक्रमण के ही पाठ नहीं है, किंतु अन्य क्रियाओं के साथ भी जुड़े हुए हैं। जब भी अपेक्षित हो तब इसके पाठों का उपयोग किया जा सकता है । आवश्यक सूत्र के पाठों का चार प्रकार से उपयोग किया जा सकता है
१. आवश्यक क्रियाओं के लिए
२. प्रतिक्रमण के रूप में
३. स्वाध्याय के लिए
४.
ध्यान के लिए
कुछ प्रतिज्ञा पाठ भी हैं अतः उनका प्रतिज्ञा ग्रहण करते समय उपयोग किया जाता है | लोगस्स पाठ का चारों रूप में उपयोग किया जाता रहा है।
१. जब ईरियावहिय का प्रतिक्रमण आदि दैनिक आवश्यक क्रियाओं की दोष-निवृत्ति के लिए कायोत्सर्ग किया जाता है, तब कायोत्सर्ग संपन्न करने के बाद उन क्रियाओं में तीर्थंकर भगवान की स्तुति के रूप में लोगस्स का पाठ बोला जाता
है ।
२. प्रतिक्रमण में दूसरे आवश्यक के रूप में लोगस्स का पाठ बोला जाता है। ३. सभी साधु-साध्वियां स्वाध्याय करना चाहते हैं। सभी को अन्य आगम कंठस्थ नहीं होते । कदाचित् याद हो तो भी उनकी आवृत्ति करना सुगम नहीं होता, तब लोगस्स के पाठ की आवृत्ति करके स्वाध्याय की पूर्ति की जाती है ।
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प्रायश्चित उतारने के लिए स्वाध्याय करते हैं वे गाथाओं की संख्या की गिनती कैसे करते हैं? यह भी समझने की बात है ।
१०६ / लोगस्स - एक साधना - २