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मंत्र
माला
६. णमो उवज्झायाणं
२१
७. णमो लोए सव्व साहूणं २१
८. णमो नास्स
२१
६. णमो दंसणस्स
१०.
णमो विणयसंपण्णाणं ११. णमो चरित्तस्स
२१
१२. णमो बंभवय धारीणं २१
१३. णमो किरियाणं
२१
२१
२१
२१
२१
२१
२१
२१
१४. णमो तवस्सीणं
१५. णमो गोयमस्स
१६. णमो जिणाणं
१७. णमो चरणस्स
१८. णमो अपुव्वनाणस्स
१६. णमो सुयनाणस्स २०. णमो तत्थयरस्स
२१
२१
कायोत्सर्ग
*
२५ लोग
२७ लोगस्स
५ लोगस्स
१.
२.
६७ लोगस्स
१० लोगस्स
६ या १३ लोगस्स
६ लोगस्स
२५ लोगस्स
१५ या १२ लोगस्स
१७ लोगस्स
१० लोगस्स
१२ लोगस्स ५ लोगस्स
१० लोगस्स
५ या १५ लोगस्स
वंदना
२५
२७
५
६७
१०
६. या १३
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२५
१५ या १२
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१७
१०
१२
५
१०
• तप
उपवास ( एकान्तर ) या आयम्बिल या एकासन ( निरन्तर अथवा एकान्तर यथाशक्ति)
५ या १५
१८. सिद्ध भक्ति तप की विधि
यह तप २५ दिन का किया जाता है। इसमें आठ द्रव्यों से अधिक उपयोग में नहीं लिये जाते हैं। रात्रि भोजन का त्याग, कच्चा पानी नहीं पीना, ब्रह्मचर्य का पालन करना । यथाशक्ति एकासन या बियासन करना। पहले दिन “ नमो उसभस्स” ' णमो ऋषभदेवाय' की इक्कीस माला फेरना । सिद्ध भगवान के आठ गुणों को याद करते हुए आठ वंदना करना * । आठ लोगस्स का कायोत्सर्ग और ऋषभदेव
सिद्ध भक्ति की आठ वंदना
अनंत ज्ञान गुण से युक्त विराजमान ऋषभदेव भगवान को मेरी वंदना । मत्थएण वंदामि । अनंत दर्शन गुण से युक्त विराजमान ऋषभदेव भगवान को मेरी वंदना । मत्यएण वंदामि । इसी प्रकार एक-एक गुण को बोलकर क्रमशः आठ बार ऋषभ देव भगवान को वंदना करना। वे गुण-अव्याबाध सुख गुण से युक्त, क्षायिक सम्यक्त्व गुण से युक्त, अमरता गुण से युक्त, अमूर्त गुण से युक्त, अगुरुलघु गुण से युक्त, अनंत शक्ति से युक्त ।
नोट- जिस दिन जिस तीर्थंकर भगवान की भक्ति हो उस दिन उस भगवान का नाम जोड़कर वंदना की जाती है और २५ वें दिन 'सिद्ध भगवान' का नाम जोड़कर वंदना की जाती है।
१०४ / लोगस्स - एक साधना - २