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मल्लिनाथ जिन मंगल रूप, पंचबीस धनुष सुन्दर स्वरूप, श्री अरनाथ नमूं वर्धमान, श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ॥३॥
सुमति पद्म प्रभु अवतंस, वासुपूज्य शीतल श्रेयांस, कुंथु पार्श्व अभिनंदण भाण, श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ॥४॥
इम परे श्री जिनवर संभारिए, दुःख दारिद्रय विघ्न निवारिए, पच्चीसे पैंसठ परमाण, श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ॥५॥
इण भणतां दुःख नावे कदा, जो निज पासे राखे सदा, धरिए पंचतणुं मन ध्यान, श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ॥६॥
श्री जिनवर नामे वांछित मिले मन वांछित सह आशा फले धर्मसिंह मुनि नाम निधान
श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ॥७॥ श्री पैंसठिया यंत्र
| 22 3 20 15 16 | 1420 21 218 | 17 18 19 25 | 18 245612 | 10 11 17 234
२१६ / लोगस्स-एक साधना-१