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परिशिष्ट-१
१. श्री पैंसठिया यंत्र और छंद
वर्तमान विश्व क्लेश, अशांति, असुरक्षा तथा राहु के दोष से संप्रस्त है। इस त्रास से मुक्ति एवं सभी ग्रह दोषों की उपशांति के लिए इस यंत्र का प्रतिदिन कम से कम ७, ६, ११ अथवा १५ हजार जप करना चाहिए। इस यंत्र में १ से लेकर २५ तक अंक हैं जिनमें तीर्थंकर के चौबीस अंक हैं और २५वां अंक एक इष्ट की स्थापना के रूप में स्थापित किया गया है। इसकी संख्या ऊपर-नीचे, दांयें-बांयें कहीं से गणना करें तो सबका योगफल ६५ आयेगा। इसलिए इसे पैंसठिया यंत्र कहते हैं। यह प्राचीन अनुभवी आचार्यों की सघन ध्यान साधना और गहन शास्त्रीय-अध्ययन के द्वारा प्राप्त मानव जाति को अमूल्य भेंट है। इसकी आराधना से हित, शिव और मंगल तो होता ही है तथा विघ्न बाधाओं की उपशांति भी होती है। पैंसठिया छंद
श्री नेमीश्वर संभव स्वाम, सुविधि धर्म शांति अभिराम, अनंत सुव्रत नमिनाथ सुजाण, श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ॥१॥
अजितनाथ चंदा प्रभु धीर, आदीश्वर सुपार्श्व गंभीर, विमलनाथ विमल जग भाण, श्री जिनवर मुझ करो कल्याण ॥२॥
परिशिष्ट-१ / २१५