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अरिहंत कितने प्रकार के हैं?
दिगम्बर साहित्य में अरिहंत के सात भेद विवर्णित हैं१. तीर्थंकर केवली अरिहंत २. सामान्य केवली अरिहंत ३. मूक केवली अरिहंत ४. अन्तकृत केवली अरिहंत ४. उपसर्ग केवली अरिहंत ६. अनुबद्ध केवली अरिहंत ७. समुद्घात केवली अरिहंत १. तीर्थंकर केवली अरिहंत-केवलज्ञान के पश्चात् तीर्थंकर होने वाले अरिहंत,
जैसे २४ तीर्थंकर। २. सामान्य केवली अरिहंत-केवलज्ञानी अरिहंत, जैसे हनुमान आदि। ३. मूक केवली अरिहंत-जो अरिहंत भगवान केवलज्ञान प्राप्ति के पश्चात भी
मौन रहते हैं, जैसे भरत चक्रवर्ती के ६२३ पुत्र। ४. अन्तकृत केवली अरिहंत-जो मुनि बनकर अन्तमुहूर्त में ही चार घाती कर्मों
को क्षय कर केवलज्ञान प्राप्त कर सिद्धत्व को प्राप्त कर लेते हैं वे अन्तकृत
केवली अरिहंत कहलाते हैं, जैसे भरत चक्रवर्ती।२ ५. उपसर्ग केवली अरिहंत-जिन्हें उपसर्ग के बाद केवलज्ञान प्राप्त हुआ वे
उपसर्ग केवली अरिहंत कहलाते हैं जैसे तीन पांडव-युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन
आदि।३ ६. अनुबद्ध केवली अरिहंत-जिन मुनियों को बंधे हुए क्रम से केवल ज्ञान की
प्राप्ति हुई हो वे अनुबद्ध केवली अरिहंत कहलाते हैं, जैसे भगवान महावीर के निर्वाण के दिन ही इन्द्रभूति गौतम गणधर को केवलज्ञान हुआ। गौतम गणधर मोक्ष प्राप्ति के दिन आर्य सुधर्मा को केवलज्ञान हुआ तथा आर्य सुधर्मा के निर्वाण के दिन जम्बु स्वामी को केवलज्ञान हुआ। अतः ये तीनों
अनुबद्ध केवली अरिहंत कहलाते हैं। ७. समुद्घात केवली अरिहंत-जो अरिहंत भगवान समुद्घात करके मोक्ष जाते
हैं। वे समुद्घात केवली अरिहंत कहलाते हैं।
केवली अरिहंत के उपरोक्त भेदों में से लोगस्स में तीर्थंकर केवली अरिहंत का कीर्तन किया जाता है। ये अरिहंत भगवान दो प्रकार के होते हैं१. सयोगी केवली अरिहंत २. अयोगी केवली अरिहंत
लोगस्स एक धर्मचक्र-२ / १५१