________________
एडिग्टन कहते हैं-विचार भी पदार्थ है (Thoughts are things)। अमेरिका का एक व्यक्ति है-टेडसिरियो। वह ध्यान में इतना एकाग्र हो जाता है कि जिस चीज का वह ध्यान करता है उस वस्तु का स्पष्ट चित्र उसके मस्तिष्क में उभर जाता है। ध्यानावस्था में सूक्ष्म संवेदी केमरा से उसके हज़ारों फोटो लिये जा चुके हैं। हर फोटों में उसकी कल्पना सच में बदली है। एक बार वह ताजमहल के ध्यान में एकाग्र हुआ किंतु फोटो हिल्टन होटल का आया। समीक्षा के दौरान उसने स्वीकार किया कि उस समय मैं चूक गया था, मेरी एकाग्रता भंग हो गई थी। मन हिल्टन होटल में घूम रहा था। इस प्रकार वैज्ञानिक जगत् में भी यह सिद्ध हो चुका है कि प्रत्येक स्वर, प्रत्येक कंपन तथा प्रत्येक नाद एक विशेष आकार को जन्म देता है।
उपरोक्त वैज्ञानिक संदर्भ में यह स्पष्ट हो जाता है कि हमारी भावना की तरंगें एकाग्र होकर हमारे मस्तिष्क में भी वैसी तस्वीर को निर्मित करती हैं। इसी प्रकार लोगस्स के निमित्त से हमारे मस्तिष्क में अर्हत् स्वरूप पर एकाग्र होने से अर्हत् का मानसिक चित्र बनता है। यदि अर्हत् के रंगों के अनुसार हम मन को एकाग्र करते हैं तो अभ्यास सधने के बाद जिस तीर्थंकर का नाम आता है तत्काल उस तीर्थंकर से संबंधित रंग का चित्र अपने आप मस्तिष्क में बन जाता है। आचार्य हेमचन्द्र ने अभिधान चिंतामणि में चौबीस तीर्थंकरों के रंगों का उल्लेख किया है
रक्तौ च पद्मप्रभवासुपूज्यौ, शुक्लौ च चन्द्रप्रभपुष्पदंतौ । कृष्णौ पुनर्नेमि मुनि विनीलौ, श्री मल्लिपार्यो कनकविषौन्ये ॥२
पद्मप्रभ और वासुपूज्य-इन दो तीर्थंकरों का रंग लाल, चन्द्रप्रभु और पुष्पदंत-इन दो तीर्थंकरों का रंग सफेद, नेमि और सुव्रत-इनका रंग काला, मल्लि और पार्श्व का रंग नीला है। शेष तीर्थंकरों का रंग स्वर्णमय है। इस प्रकार सभी तीर्थंकरों के अलग-अलग रंग हैं। इसका भी पूरा विज्ञान है। निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि जैसा रंग, जैसा भाव, जैसा व्यक्तित्व अथवा पदार्थ का हम चिंतन करते हैं वैसी तस्वीर हमारे मस्तिष्क में निर्मित होती है और वैसा व्यक्तित्व भी निर्मित होने लगता है। लोगस्स में सकार की तीस गुणा शक्ति
__ लोगस्स देह संरचना एक रहस्य, कर्ण अगोचर तरंगें, मानसिक चित्र का निर्माण-इन सारे संदर्भो के निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि एक बार लोगस्स के उच्चारण से 'स' की आवृत्ति ११११११११११११११११११११११११११११११ गुणा शक्तिशाली होकर योजक वर्गों के साथ शांति और शक्ति प्रदान करती है।
६८ / लोगस्स-एक साधना-१