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तेरहवां शतक
पहला उद्देशक संग्रहणी गाथा १. पृथ्वी २. देव ३. अनंतर ४. पृथ्वी ५. आहार ६. उपपात ७. भाषा ८-९. कर्म,
अनगार, केआघड़िया १०. समुद्घात। संख्येय-विस्तृत नरकों में उपपात-पद १. राजगृह नगर यावत् गौतम ने इस प्रकार कहा-भंते! पृथ्वियां कितनी प्रज्ञप्त हैं?
गौतम! पृथ्वियां सात प्रज्ञप्त हैं, जैसे-रत्नप्रभा यावत् अधःसप्तमी। २. भंते! इस रत्नप्रभा-पृथ्वी के कितने लाख नरकावास प्रज्ञप्त हैं? गौतम! तीस लाख नरकावास प्रज्ञप्त हैं। भंते! क्या वे संख्येय योजन विस्तार वाले हैं? असंख्येय योजन विस्तार वाले हैं ? गौतम! संख्येय योजन विस्तार वाले भी हैं, असंख्येय योजन विस्तार वाले भी हैं। ३. भंते ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नरकावासों में से, संख्येय विस्तार वाले नरकों में एक समय में-१. कितने नैरयिक उपपन्न होते हैं? २. कितने कापोत-लेश्या वाले उपपन्न होते हैं? ३. कितने कृष्णपाक्षिक उपपन्न होते हैं? ४. कितने शुक्लपाक्षिक उपपन्न होते हैं? ५. कितने संज्ञी उपपन्न होते हैं? ६. कितने असंज्ञी उपपन्न होते हैं? ७. कितने भवसिद्धिक उपपन्न होते हैं ८. कितने अभवसिद्धिक उपपन्न होते हैं? ९. कितने आभिनिबोधिक-ज्ञानी उपपन्न होते हैं? १०. कितने श्रुत-ज्ञानी उपपन्न होते हैं? ११. कितने अवधि-ज्ञानी उपपन्न होते हैं? १२. कितने मति-अज्ञानी उपपन्न होते हैं? १३. कितने श्रुत-अज्ञानी उपपन्न होते हैं? १४. कितने विभंग-ज्ञानी उपपन्न होते हैं? १५. कितने चक्षु-दर्शनी उपपन्न होते हैं?१६. कितने अचक्षु-दर्शनी उपपन्न होते हैं? १७. कितने अवधि-दर्शनी उपपन्न होते हैं? १८. कितने आहार-संज्ञा-उपयुक्त उपपन्न होते हैं? १९. कितने भय-संज्ञा-उपयुक्त उपपन्न होते हैं? २०. कितने मैथुन-संज्ञा-उपयुक्त उपपन्न होते हैं? २१. कितने परिग्रह-संज्ञा-उपयुक्त उपपन्न होते हैं? २२. कितने स्त्री-वेदक उपपन्न होते हैं? २३. कितने पुरुष-वेदक उपपन्न होते हैं? २४. कितने नपुंसक-वेदक उपपन्न होते हैं? २५-२८. कितने क्रोध-कषाय वाले उपपन्न होते हैं? यावत् कितने लोभ-कषाय वाले उपपन्न होते हैं? २९-३३. कितने श्रोत्रेन्द्रिय-उपयुक्त उपपन्न होते ह? यावत् कितने स्पर्शनेन्द्रिय-उपयुक्त उपपन्न होते हैं? ३४. कितने
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