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बारहवां शतक (पृ. ४४३-४८८ )
पहला उद्देश
४४३
संग्रहणी गाथा
४४३
शंख- पुष्कली-पद
४४३
दूसरा उद्देशक
४४८
उदयन आदि का धर्म-श्रवण-पद
४४८
जयन्ती - प्रश्न-पद
४५०
तीसरा उद्देशक
४५३
४५३
४५४
४५४
४६२
४६५
पृथ्वी-पद
चौथा उद्देशक
परमाणु - पुद्गलों का संघात - भेद-पद पुद्गल - परिवर्त्त-पद
पांचवां उद्देशक
वर्णादि और अवर्णादि की अपेक्षा द्रव्य
-विमर्श-पद
छठा उद्देशक
चंद्र-सूर्य ग्रहण- पद
शशि-आदित्य-पद चंद्र-सूर्य का काम भोग-पद
सातवां उद्देशक
जीवों का सर्वत्र जन्म-मृत्यु-पद
अनेक अथवा अनंत बार उपपात-पद
आठवां उद्देश
देवों का द्विशरीर- उपपात-पद
पंचेन्द्रिय तिर्यक्योनिक-उपपात-पद
नौवां उद्देशक
अनुक्रम
पंचविध-देव-पद
पंचविध - देवों का उपपात-पद
४६५
४६८
४६८
४७०
४७०
४७१
४७१
४७२
४७५
४७५
४७५
४७६
४७६
४७७
पंचविध - देवों की स्थिति पद
पंचविध - देवों का विक्रिया-पद
पंचविध देवों का उद्वर्तन-पद
पंचविध - देवों का संस्थिति-पद
पंचविध - देवों का अन्तर पद
पंचविध-देवों का अल्पबहुत्व-पद
दसवां उद्देशक
अष्टविध-आत्म-पद
अष्टविध-आत्मा का अल्पबहुत्व-पद
४८२
ज्ञान-दर्शन का आत्मा के साथ भेदाभेद-पद ४८२
४८३
पहला उद्देशक
संग्रहणी गाथा
संख्येय- विस्तृत नरकों में उपपात-पद
संख्येय - विस्तृत नरकों में उद्वर्तन - पद
संख्येय - विस्तृत नरकों में सत्ता - पद
स्याद्वाद-पद
तेरहवां शतक (पृ. ४८९-५२०)
४७८
४७८
४७८
४७९
४७९
४८०
दूसरा उद्देश
तीसरा उद्देशक
४८९
४८९
४८९
४९०
४९१
४९४
४९७
४९७
४९७
४९८
४९८
४९८
लोक-मध्य-पद
४९८
धर्मास्तिकाय आदि का परस्पर स्पर्श-पद ५०१
५०४
चौथा उद्देशक
नरक और नैरयिकों में अल्प- महत्-पद
नैरयिकों का स्पर्शानुभव - पद
नरकों का बाहल्य-क्षुद्रत्व - पद
नरक - परिसामन्त-पद
४८१
४८१
धर्मास्तिकाय आदि का अवगाढ- पद
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