________________
पृष्ठ
९१७
९१७
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२
अनन्तर
२
-जीव के
".
९१७ ४७ ३,४
अनन्तर उपपन्न एकेन्द्रिय-जीव
९१७ ४८ १ - विशेषाधिक कर्म का बन्ध करते ९१७ ४८ ३, ४ कुछेक अनन्तर ९१७ ४८ ४, ५ ९१७ ४८ ५. ९१८
४८
६७
-जीव समान जो अनन्तरजीव समान -विशेषाधिक कर्म का बन्ध करते जो अनन्तर
४८ ९
९१८ ४८ ७-९ ९१८ ४८ ७ ९१८ ९१८४८ ९१८
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सूत्र पंक्ति
४४
९१८ ५१
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४४
४५
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४६
९१८ ५१ ३
५
६
९१८ ५२
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९१९ ५५
५४
अशुद्ध
४ करते हैं, यावत् (अनन्तर
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५.
२.
५६.५७
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५७
'वेमात्र
हैं' तक।
३-५ जैसे - पृथ्वीकायिक आदि
१०
५४ सर्वत्र
এ
३
४
१,२
९१९
५६
९१९ ५६
९१९ ५६
९१९ ५७ २-३
for my or momm
४
बतलाने चाहिए ३ बतलाये गये हैं
२.
शुद्ध करते हैं (भ. ३३/१७-२०) यावत् (अनन्तर-जीव ।
जीव) तक।
- उद्देशक में बतलाया गया है वैसा उद्देशक (भ. ३४/३७) में बतलाया ही बतलाना चाहिए।
गया है वैसा ही (बतलाना चाहिए)।
३
४
( अप्कायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक) यावत् 'प्रत्येक के चार भेद बतलाने चाहिए। यावत् 'वनस्पतिकायिक' तक । योग्यता प्राप्त)
होने योग्य हैं ?
में बतलाया गया था
'लोक के चरमान्त' तक चाहिए।
३
उत्पाद
में बतलाया गया है ३. बतलाना चाहिए
'लोक के चरमान्त' 'तुल्य-स्थिति'
उद्देशक में
'तुल्य स्थिति वाले' तक बतलाना तुल्य स्थिति वाले तक (बतलाना
चाहिए।
चाहिए)। 'अचरम' तक, (जैसे २६ वें शतक में अचरम तक (जैसे २६ वें शतक (भ. २६/३६-५५) में (बतलाने चाहिए)
(बतलाये गये हैं)
(बतलाने चाहिए)
वनस्पतिकायिक
बतलाने चाहिए 'वनस्पतिकायिक' चरमान्त में.....? इसी प्रकार
में बतलाया गया है। वैसा
(अनन्तर-जीव के)
(अनन्तर उपपन्नक एकेन्द्रिय जीव) -विशेषाधिक कर्म करने वाले होते कुछेक (अनन्तर
-जीव) समान
जो (अनन्तर-जीव) समान
- विशेषाधिक कर्म करने वाले होते
जो (अनन्तर
वेमात्र
है।
जैसे- पृथ्वीकायिक, भेद-चतुष्क (वक्तव्य है) यावत् वनस्पतिकायिक (प्रत्येक के चार भेद बतलाने चाहिए)
योग्यता प्राप्त) होने योग्य है ० ?
(बतलाया गया था)
लोक के चरमान्त तक (बतलाना चाहिए)।
उद्देशक (भ. ३४/३३-४०) में
चरमान्त में० ? इस प्रकार
(बतलाया गया है) वैसा
उपपात (बतलाया गया है) (बतलाना चाहिए)
लोक के चरमान्त तुल्य-स्थिति
पृष्ठ सूत्र पंक्ति
९१९
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६२ ९१९ ६३ ३-४ ९१९ ६३ ४
६३ ४ ६४ २ ९१९ ६४,६५ ३ ६४ ३ *
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११९
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५९ १,२
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९२३ ४ ९२३ ४
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१२४
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६५
६६
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९२१ शीर्षक
९२३ ३. १,२ ९२३ ३ २ ९२३ ३
३
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९२४ ८
4
५.
६
७
३
८, ११
९
३,५
२
५
१३ जानना चाहिए
बतलाये गये
बतलाने चाहिए
एकेन्द्रिय श्रेणी
बतलाये गये
४
६
===
4
अशुद्ध में बतलाया गया बताना चाहिए। बतलाना चाहिए। में बतलाया गया है। बतलाना चाहिए। बतलाया गया है। वैसा के चार-चार भेद (भ. वक्तव्य है, यावत् 'वनस्पतिकायिक' #)....?
बतलाया गया है 'लोक के चरमान्त'
बतलाना चाहिए उत्पाद
४
'तुल्य-स्थितिक' बतलाना चाहिए कहा गया है।
२
२, ३
१
३
४
१.
१-३ उत्पन्न
२
बतलाया गया है।
यहां
बतलाना चाहिए
शतक ३५
- एकेन्द्रियों का उपपात आदि पद एकेन्द्रियों के उपपात आदि का पद
उत्पन्न ?....
जैसे
बतलाया
चाहिए
भी होते हैं अबन्धक भी होते हैं।
वे जीव
जानना चाहिए।
अथवा
वे जीव
बतलानी चाहिए
....... पृच्छा।
शुद्ध
(बतलाया गया)
(बतलाना चाहिए)।
(बतलाना चाहिए)।
**
(बतलाया गया है)
(बतलाना चाहिए)।
(बतलाया गया है), वैसा
का भेद-चतुष्क ((भ.
वक्तव्य हे) यावत् वनस्पतिकायिक में ) ० ?
(बतलाया गया है)
लोक के चरमान्त
(बतलाना चाहिए)
उपपात
तुल्य-स्थितिक
(बतलाना चाहिए)
(कहा गया है)।
(जानना चाहिए)।
(बतलाये गये)
(बतलाने चाहिए) एकेन्द्रिय श्रेणी (बतलाये गये)
उपपन्न
है० ?
जैसा
उपपत्र
वे ( कृतयुग्म कृतयुग्म - (एकेन्द्रिय)- (वे कृतयुग्म कृतयुग्म एकेन्द्रियजीव
-जीव)
(बतलाया गया है)
(यहा)
(बतलाना चाहिए)
(बतलाया
चाहिए)
होते हैं अथवा अबन्धक होते हैं।
(वे जीव) (जानना चाहिए)।
(अथवा )
(वे जीव)
(बतलानी चाहिए)
है- पृच्छा।
पृष्ठ सूत्र पंक्ति
अशुद्ध
शुद्ध
९२४
९
२
वे ( कृतयुग्म कृतयुग्म एकेन्द्रिय)- (वे कृतयुग्म कृतयुग्म एकेन्द्रिय
जीव
जीव)
वे जीव
(वे जीव)
हैं ?.... जैसा
हैं० ? जैसा
बतलाया गया है।
वे जीव
९२४
33
९२४
९२४
९२४
९२४
९२४
९२४
९२४ |
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९२५
९२५ ।
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९२५
23
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११
१५
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१५.
९२५- सर्वत्र सर्वत्र
९३०
९२५
९२५
९२५१३,९८, १
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९२५ १३ २
२
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१४ ९२५ १४ १४, १६
३
५.
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३-६
१
२,३
सर्वत्र
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५
१०
१६
१६
५.
६
७
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८
८
११
१२
१३
१३
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९२५ १५, १७ १
९२५ १५ २
-
६.
२
३
५.
६
जीव
है, अनिन्द्रिय नहीं है।
वनस्पतिकायिक काल
९२५ १७,१८ २
चाहिए। (उत्पल
है)। इन जीवों का
बतलाया
चाहिए,
समझना चाहिए इन जीवों की
ये जीव
करते हैं। मारणान्तिक
बतलाया
चाहिए
उत्पन्न
हैं....? इन जीवों का
उत्पाद वैसा ही बतलाना चाहिए
हैं ?.... पृच्छा
वे ( कृतयुग्म त्र्योज एकेन्द्रिय) जीव उत्पाद के विषय में बतलाया गया है (भ. ३५/१२)
'अनन्त बार' तक
चाहिए)।
हैं? इन जीवों का
चाहिए। (जैसा भ. ३५ / ३ में
(बतलाया गया है) (वे जीव)
(वे जीव)
हैं, अनिन्द्रिय नहीं हैं। वनस्पतिकायिक-काल चाहिए, (उत्पल
है), (इन जीवों का)
चाहिए।
१७, १८२, ३ बतलाना चाहिए
इन जीवों का
(बतलाया
चाहिए),
(समझना चाहिए)
(इन जीवों की)
(ये जीव)
(करते हैं) वेदना, कषाय, मारणान्तिक वैक्रिय)। मारणान्तिक
(बतलाया
चाहिए)
उपपन्न
हैं ? (इन जीवों का)
उपपात वैसा ही (बतलाना चाहिए) है?-पृच्छा
(वे कृतयुग्म त्र्योज एकेन्द्रिय-जीव) (उपपात के विषय में (भ. ३५ / १२ में बतलाया गया है)
अनन्त बार तक चाहिए)।
हैं०? (इन जीवों का)
चाहिए (जैसा भ. ३५ / ३ में बतलाया गया है)।
बतलाया गया है।)
है...... पृच्छा ।
हैं- पृच्छा।
वे ( कृतयुग्म - द्वापरयुग्म एकेन्द्रिय)- (वे कृतयुग्म द्वापरयुग्म एकेन्द्रियजीव
जीव)
वैसा ही (बतलाना चाहिए) (जैसा
जैसा कृतयुग्म
कृतयुग्म
'अनन्त बार' तक वैसा ही बतलाना अनन्त बार ।
(बतलाना चाहिए) (इन जीवों का)