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भगवती सूत्र
श. ३० : उ. १ : सू. २५-२९ नैरयिक-आयु का बन्ध नहीं करत हैं, तिर्यग्योनिक-आयु का भी बन्ध करते हैं, मनुष्य-आयु का भी बन्ध करते हैं, देव-आयु का बन्ध नहीं करते, केवल इतना अन्तर है-सम्यग्-मिथ्या-दृष्टि वाले जीवों में ऊपर के दो समवसरण के जीव किसी भी आयुष्य का बन्ध नहीं करते। जैसा जीव-पद में बताया गया वैसा वक्तव्य है। इसी प्रकार यावत् 'स्तनितकुमार तक' देवों के आयुष्य-बन्ध जैसा नैरयिक-जीवों के विषय में बताया गया है वैसा ही जानना चाहिए। २६. भन्ते! अक्रियावादी-पृथ्वीकायिक-जीवों के विषय में.....पृच्छा। गौतम! अक्रियावादी-पृथ्वीकायिक-जीव नैरयिक-आयु का बन्ध नहीं करते, तिर्यग्योनिक-आयु का बन्ध करते हैं, मनुष्य-आयु का बन्ध करते हैं, देव-आयु का बन्ध नहीं करते। इसी प्रकार अज्ञानिकवादी-पृथ्वीकायिक-जीवों के विषय में समझना चाहिए। २७. भन्ते! लेश्या-युक्त-पृथ्वीकायिक-जीव के विषय में (पृच्छा)। (गौतम!) इसी प्रकार जो-जो पद पृथ्वीकायिक-जीवों के विषय में बताये हैं उन-उन में दो मध्यम समवसरणों में वैसा ही वक्तव्य है। (अर्थात् केवल अक्रियावादी और अज्ञानिकवादी लेश्या-युक्तपृथ्वीकायिक-जीव वक्व्य हैं) इसी प्रकार दो प्रकार के आयुष्य का बन्ध करते हैं, केवल इतना अन्तर है-तेजो-लेश्या वाले पृथ्वीकायिक-जीव किसी भी आयुष्य का बन्ध नहीं करते। इसी प्रकार अर्थात् पृथ्वीकायिक-जीवों की भांति अप्कायिक- और वनस्पतिकायिक-जीवों के विषय में भी वक्तव्यता है। तेजस्कायिक और वायुकायिक जीव सभी स्थानों में दो मध्यम समवसरणों में अर्थात् अक्रियावादी और अज्ञानिकवादी होते हैं, वे नैरयिक-आयु का बन्ध नहीं करते, तिर्यग्योनिक-आयु का बन्ध करते हैं, मनुष्य-आयु का बन्ध नहीं करते, देव-आयु का बन्ध नहीं करते। द्वीन्द्रिय-, त्रीन्द्रिय- तथा चतुरिन्द्रिय-जीव पृथ्वीकायिक-जीवों की भांति वक्तव्य हैं, केवल इतना अन्तर है-सम्यकत्वी- और ज्ञानी-जीव एक (किसी) भी आयुष्य का बन्ध नहीं करते। २८. भन्ते! क्रियावादी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीव क्या नैरयिक-आयु का बन्ध करते हैं....पृच्छा । गौतम! क्रियावादी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीव जैसा मनःपर्यव-ज्ञानी के जीवों के विषय में बताया गया है वैसा जानना चाहिए। अक्रियावादी-, अज्ञानिकवादी- और वैनयिकवादी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीव चारों प्रकार के आयुष्य का बन्ध करते हैं। जिस प्रकार से समुच्चय पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीवों की वक्तव्यता है उसी प्रकार लेश्या-युक्तपञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीवों के विषय में वक्तव्य है। २९. भन्ते! कृष्ण-लेश्या वाले क्रियावादी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीव क्या नैरयिक-आयु
का बन्ध करते हैं....पृच्छा। गौतम! कृष्ण-लेश्या वाले क्रियावादी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीव नैरयिक-आयु का बन्ध नहीं करते, तिर्यग्योनिक-आयु का बन्ध नहीं करते, मनुष्य-आयु का बन्ध नहीं करते, देव-आयु का बन्ध नहीं करते। अक्रियावादी, अज्ञानिकवादी, और वैनयिकवादी जीव चारों
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