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भगवती सूत्र
श. २५ : उ. ७ : सू. ५५६-५६७ -योग्य-दीक्षापर्याय का छेदन। ८. मूल-योग्य-पुनर्दीक्षा। ९. अनवस्थाप्य-योग्य-तपस्यापूर्वक पुनर्दीक्षा। १०. पारांचिक-योग्य भर्त्सना एवं अवहेलनापूर्वक पुनर्दीक्षा। तप-पद ५५७. तप दो प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे बाह्य और आभ्यन्तरिक। ५५८. बाह्य-तप क्या है? बाह्य-तप के छह प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-१. अनशन, २. अवमोदरिका, ३. भिक्षाचर्या। ४. रस-परित्याग ५. कायक्लेश, ६. प्रतिसंलीनता। ५५९. अनशन क्या है?
अनशन दो प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे इत्वरिक और यावत्कथिक। ५६०. इत्वरिक क्या है? इत्वरिक अनेक प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-चतुर्थ-भक्त, षष्ठ-भक्त, अष्टम-भक्त, दशम-भक्त, द्वादश-भक्त, चतुर्दश-भक्त, अर्धमासिक-भक्त, मासिक-भक्त, द्विमासिक-भक्त, त्रिमासिक-भक्त, यावत् षण्मासिक-भक्त। यह है इत्वरिक। ५६१. यावत्कथिक क्या है?
यावत्कथिक दो प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे–प्रायोपगमन और भक्त-प्रत्याख्यान । ५६२. प्रायोपगमन क्या है?
प्रायोपगमन दो प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-निर्हारी और अनिर्हारी। यह नियमतः अप्रतिकर्म होता है। यह है प्रायोपगमन । ५६३. भक्त-प्रत्याख्यान क्या है? भक्त-प्रत्याख्यान दो प्रकार का प्रज्ञप्त है, जैसे-निर्हारी और अनिर्हारी। यह नियमतः सप्रतिकर्म होता है। यह है भक्त-प्रत्याख्यान । यह है यावत्कथिक। यह है अनशन । ५६४. अवमोदरिका क्या है?
अवमोदरिका दो प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे-१. द्रव्य-अवमोदरिका २. भाव-अवमोदरिका। ५६५. द्रव्य-अवमोदरिका क्या है? द्रव्य-अवमोदरिका दो प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे-१. उपकरण-अवमोदरिका २. भक्त-पान-अवमोदरिका। ५६६. उपकरण-अवमोदरिका क्या है?
उपकरण-अवमोदरिका तीन प्रकार की प्रज्ञप्त है, जैसे-१. एक वस्त्र रखना, २. एक पात्र रखना, ३. सम्मत उपकरण रखना। यह है उपकरण-अवमोदरिका। ५६७. भक्त-पान-द्रव्य-अवमोदरिका क्या है?
भक्त-पान-द्रव्य-अवमोदरिका-मुर्गी के अण्डे जितने आठ कवल का आहार वाला
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