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श. २४ : उ. २२,२३ : सू. ३१९-३२४
भगवती सूत्र भवों-संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी-तिर्यञ्च-जीव के भव और वाणमन्तर के भव की स्थिति के अनुरूप जानना चाहिए। बहत्तरवां आलापक : वाणमन्तर-देवों में मनुष्य-यौगलिकों का उपपात-आदि ३२०. यदि मनुष्यों से वाणमन्तर-देव में उपपन्न होते हैं? असंख्यात वर्ष की आयु वाले मनुष्य का वाणमन्तर-देव में उपपात जैसी नागकुमार-उद्देशक (भ. २४/१५४-१५७) की वक्तव्यता है (वैसी वक्तव्यता), केवल इतना विशेष है-तृतीय गमक में स्थिति जघन्यतः एक पल्योपम, उत्कृष्टतः तीन पल्योपम। अवगाहना-जघन्यतः एक गव्यूत, उत्कृष्टतः तीन गव्यूत। शेष पूर्ववत्। कायसंवेध जैसा इसी उद्देशक में असंख्यात वर्ष आयुष्य वाले संज्ञी-तिर्यञ्च-पञ्चेन्द्रिय की वक्तव्यता है (वैसी वक्तव्यता)। तहत्तरवां आलापक : वाणमन्तर-देवों में संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी-मनुष्यों का उपपात-आदि संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी मनुष्य की व्यन्तर-देव के रूप में उत्पत्ति नागकुमार-उद्देशक भांति (भ. २४/१५८,१५९) वक्तव्य है। केवल इतना विशेष है-स्थिति और कायसंवेध यथोचित वक्तव्य है। ३२१. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है।
तेईसवां उद्देशक चोहत्तरवां आलापक : ज्योतिष्क-देवों में असंख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी-तिर्यंच
-पंचेन्द्रिय (यौगलिक) का उपपात आदि ३२२. भन्ते! ज्योतिष्क-देव कहां से उपपन्न होते हैं-क्या नैरयिक से उपपन्न होते हैं?.......भेद यावत् (भ. २४/१-३) संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं,
असंज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न नहीं होते। ३२३. भन्ते! यदि ज्योतिष्क-देव संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं तो क्या
संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं? असंख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं? गौतम! संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से उपपन्न होते हैं, असंख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों से भी उपपन्न होते हैं। (पहला गमक) ३२४. भन्ते! असंख्यात वर्ष की आयु वाला संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक (यौगलिक), जो ज्योतिष्क-देव में उपपन्न होने योग्य है, भन्ते! कितने काल की स्थिति वाले ज्योतिष्क-देव के रूप में उपपन्न होता है? गौतम! जघन्यतः पल्योपम-के-आठवें-भाग की स्थिति वाले, उत्कृष्टतः एक-लाख-वर्ष-अधिक-एक-पल्योपम की स्थिति वाले ज्योतिष्क-देव के रूप में उपपन्न होता है। (यह चन्द्र-विमान के देव का आयुष्य बताया है) अवशेष असुरकुमार-देव के उद्देशक की भांति,
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