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श. २४ : उ. २० : सू. २५६-२६१
भगवती सूत्र २५६. वही जघन्य काल की स्थिति वालों में उत्पन्न असंज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीव जघन्य काल की स्थिति वाले पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीवों में उत्पन्न होता है। वही वक्तव्यता, केवल इतना विशेष है-काल की अपेक्षा जघन्यतः दो अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्टतः
आठ अन्तर्मुहूर्त-इतने काल तक रहता है, इतने काल तक गति-आगति करता है। २५७. वही उत्कृष्ट काल की स्थिति वालों से उत्पन्न असंज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीव जघन्यतः कोटि-पूर्व आयुष्य वाले, उत्कृष्टतः भी कोटि-पूर्व आयुष्य वाले संज्ञी-पंचेन्द्रिय-तिर्यक्योनिक-जीवों में उत्पन्न होता है, वही वक्तव्यता, केवल इतना विशेष है-काल की
अपेक्षा यथोचित वक्तव्य है। (सातवां गमक) २५८. वही अपनी उत्कृष्ट काल की स्थिति में उत्पन्न असंज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीव उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले संज्ञी-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीवों में उत्पन्न होता है, वही प्रथम गमक की भांति वक्तव्यता (भ. २४/२५०), केवल इतना विशेष है-स्थितिजघन्यतः कोटि-पूर्व, उत्कृष्टतः भी कोटि-पूर्व। शेष पूर्ववत्। काल की अपेक्षा जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त-अधिक-कोटि-पूर्व, उत्कृष्टतः कोटि-पूर्व-पृथक्त्व (दो से नौ)-अधिक-पल्योपम-का-असंख्यातवां-भाग-इतने काल तक रहता है, इतने काल तक गति-आगति करता है। (आठवां गमक) २५९. वही उत्कृष्ट काल की स्थिति वालों में उत्पन्न असंज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीव जघन्य काल की स्थिति वाले संज्ञी-पंचेन्द्रिय-तिर्यक्योनिक-जीवों में उत्पन्न होता है, वही जैसी सातवें गमक की भांति वक्तव्यता, केवल इतना विशेष है-काल की अपेक्षा से जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त-अधिक-कोटि-पूर्व, उत्कृष्टतः चार-अन्तर्मुहूर्त-अधिक-चार-कोटि-पूर्व-इतने काल तक रहता है, इतने काल तक गति-आगति करता है। (नवां गमक) २६०. वही उत्कृष्ट काल की स्थिति वालों में उत्पन्न असंज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीव
उत्कृष्ट काल की स्थिति वाले संज्ञी-पंचेन्द्रिय-तिर्यग्योनिकों में उत्पन्न होता है-स्थिति–जघन्यतः पल्योपम-का-असंख्यातवां-भाग, उत्कृष्टतः भी पल्योपम-का-असंख्यातवां-भाग। इस प्रकार जैसे रत्नप्रभा में उपपद्यमान असंज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीवों के नौवें गमक (में बतलाया) वैसा ही अविकल रूप से वक्तव्य है, यावत् कालादेश (भ. २४/५२,५३), केवल इतना विशेष है-परिमाण इसके तृतीय गमक
की (भ. २४/२५३) भांति वक्तव्य है, शेष पूर्ववत्। पचासवां आलापक : तिर्यंच-पञ्चेन्द्रिय-जीवों में संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी
-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यञ्चों का उपपात-आदि २६१. (भन्ते!) यदि संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीवों से उत्पन्न होते हैं तो क्या संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीवों से उत्पन्न होते हैं? असंख्यात वर्ष की आयुवाले संज्ञी-पञ्चेन्द्रिय-तिर्यग्योनिक-जीवों से उत्पन्न होते हैं?
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