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श. ६ : उ. ५ : सू. १०३-११३
१०३. भन्ते ! कृष्णराज के कितने नाम हैं ?
गौतम ! कृष्णराज के आठ नाम प्रज्ञप्त हैं-कृष्णराजि, मेघराज, मघा, माघवती, वात- परिघ, वात- प्रतिक्षोभ, देव परिघ, देव - प्रतिक्षोभ ।
१०४. भन्ते ! कृष्णराजियां क्या पृथ्वी के परिणमन हैं ? जल के परिणमन हैं ? जीव के परिणमन हैं ? पुद्गल के परिणमन हैं ?
भगवती सूत्र
गौतम ! कृष्णराजियां पृथ्वी के परिणमन हैं, जल के परिणमन नहीं है, जीव के परिणमन भी हैं और पुद्गल के परिणमन भी हैं।
१०५. भन्ते ! क्या कृष्णराजियों में सब प्राण, भूत जीव और सत्त्व पृथ्वीकाय रूप में यावत् सकाय-रूप में उपपन्नपूर्व हैं ?
हां गौतम ! अनेक बार अथवा अनन्त बार उपपन्न हुए हैं। पर बादर - अप्कायिक, बादर-अग्निकायिक और बादर - वनस्पतिकायिक रूप में उपपन्न नहीं हुए ।
लोकान्तिक देव-पद
१०६. इन आठ कृष्णराजियों के आठ अवकाशान्तरों में आठ लोकान्तिक विमान प्रज्ञप्त हैं, जैसे
संग्रहणी गाथा
१. अर्चि २. अर्चिमाली ३. वैरोचन ४. प्रभंकर ५. चन्द्राभ ६. सूराभ ७. शुक्लाभ ८. सुप्रतिष्ठाभ और मध्य में रिष्टाभ ।
१०७. भन्ते ! अर्चि - विमान कहां प्रज्ञप्त है ?
गौतम ! उत्तरपूर्व (ईशान कोण) में ।
१०८. भन्ते ! अर्चिमाली विमान कहां प्रज्ञप्त है ?
गौतम ! पूर्व दिशा में हैं। इस प्रकार परिपाटी से ज्ञातव्य है । यावत्
१०९. रिष्ट विमान कहां प्रज्ञप्त है ?
गौतम ! कृष्णराजियों के प्रायः मध्यदेश भाग में ।
११०. इन आठों लोकान्तिक- विमानों में आठ प्रकार जैसे
संग्रहणी गाथा
लोकान्तिक- देव निवास करते हैं,
सारस्वत, आदित्य, वह्नि, वरुण, गर्दतोय, तुषित, अव्याबाध और आग्नेय । रिष्ट विमान में रिष्ट नामक देव ।
१११. भन्ते ! सारस्वत - देव कहां निवास करते हैं ?
गौतम ! अर्चि - विमान में निवास करते हैं ।
११२. भन्ते ! आदित्य- देव कहां निवास करते हैं?
गौतम ! अर्चिमाली - विमान में निवास करते हैं। इस प्रकार क्रमशः ज्ञातव्य है यावत्
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