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भगवती सूत्र
श. ६ : उ. ५,६ : सू. ११३-१२१ ११३. भन्ते! रिष्ट-देव कहां निवास करते हैं? ___ गौतम! रिष्ट-विमान में। ११४. भन्ते! सारस्वत- और आदित्य-देवों के कितने देव हैं? और कितने सौ देवों का परिवार हैं? गौतम! सात देव और सात सौ देवों का परिवार प्रज्ञप्त है। बह्नि- और वरुण-देवों के चौदह देव और चौदह हजार देवों का परिवार प्रज्ञप्त है। गर्दतोय- और तुषित-देवों के सात देव और सात हजार देवों का परिवार प्रज्ञप्त है।
अवशेष देवों के नौ देव और नौ सौ देवों का परिवार प्रज्ञप्त है। संग्रहणी गाथा प्रथम युगल में सात सौ, दूसरे युगल में चौदह हजार, तीसरे युगल में सात हजार और शेष में नौ सौ देवों का परिवार है। ११५. भन्ते! लोकान्तिक-विमान किस पर प्रतिष्ठित हैं?
गौतम! वे वायु पर प्रतिष्ठित हैं। इस प्रकार सभी विमानों का प्रतिष्ठान वायु पर ज्ञातव्य है। इन विमानों की मोटाई, ऊंचाई और संस्थान ब्रह्मलोक के विमानों की वक्तव्यता के अनुसार
ज्ञातव्य है, यावत्११६. भन्ते! लोकान्तिक-विमानों में सब प्राण, भूत, जीव और सत्त्व पृथ्वीकायिक,
अप्कायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक, देव और देवी के रूप में उपपन्नपूर्व
हां, गौतम! अनेक बार अथवा अनन्त बार। पर वे देवी के रूप में उपपन्न नहीं होते। ११७. भन्ते! लोकान्तिक-देवों की स्थिति कितने काल की प्रज्ञप्त है?
गौतम! उनकी स्थिति आठ सागरोपम की प्रज्ञप्त है। ११८. भन्ते! लोकान्तिक-विमानों से लोकान्त कितने अन्तर (दूरी) पर प्रज्ञप्त है?
गौतम! लोकान्त लोकान्तिक-विमानों से असंख्येय-हजार-योजन के अन्तर पर प्रज्ञप्त है। ११९. भन्ते! वह ऐसा ही है। भन्ते! वह ऐसा ही है।
छठा उद्देशक नैरयिक आदि के आवास-पद १२०. भन्ते! पृथ्वियां कितनी प्रज्ञप्त हैं? गौतम! पृथ्वियां सात प्रज्ञप्त हैं, जैसे-रत्नप्रभा यावत् अधःसप्तमी। रत्नप्रभा-पृथ्वी यावत् अधःसप्तमी-पृथ्वी के आवास वक्तव्य हैं। इस प्रकार जितने आवास हैं, वे सब वक्तव्य हैं, यावत्१२१. भन्ते! अनुत्तरविमान कितने प्रज्ञप्त हैं?
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