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________________ अनुकम्पा री चौपई २५७ ३३. कहते हैं, राजा श्रेणिक तो सम्यक्त्वी था। धर्म नहीं होता तो वह ऐसा काम कैसे करता ? यह कह कह करके भोले लोगों को राजा श्रेणिक का नाम लेकर जाल में डालते हैं। I ३४. श्रेणिक का नाम सामने रखकर खींचातान खड़ी करते हैं। मनचाही गप्पें हांकते हैं। जिनेश्वर देव की आज्ञा कौन पालता है ? । ३५-३६. कुछ लोग श्रेणिक समदृष्टि था, यह कहकर अनजान लोगों को भरमाते हैं। यदि ऐसा है तो सम्यक्दृष्टि शक्रेन्द्र, जो परम जिनभक्त और एकाभवतारी था, वह कोणिक को सहयोग देने आया । सावद्य समझते हुए भी उसने युद्ध किया और एक करोड़ अस्सी लाख मनुष्यों का उसने संहार किया। ३७. राजा श्रेणिक ने ढिंढोरा पिटवाया, वह तो बड़े राजाओं की रीति थी, किन्तु भगवान महावीर ने इस कार्य की प्रशंसा नहीं की, तो ऐसा कहने वालों का विश्वास कैसे हो ? | ३८. जीव हिंसा मत करो यह ढिंढोरा पिटवाया, आगम में केवल इतना ही कथन है। श्रेणिक राजा को धर्म हुआ - यह कहने वाले तो प्रत्यक्ष ही झूठ बोलते हैं। ३९. लोकमत के अनुकूल समझ कर इस बात पर व्यर्थ ही विवाद कर रहे हैं। मिश्र धर्म भी अटकते हुए कह रहे हैं । यदि वे लोग सत्य होते तो सूत्र का आधार बता देते । ४० पुत्र आदि के जन्मोत्सव, विवाहोत्सव, ओरी- चेचक आदि के उत्सव पर तथा ऐसे अन्य किसी कारण के उत्पन्न होने पर राजा श्रेणिक ने नगरी में ढिंढोरा पिटवाया होगा । ४१. उस कार्य में राजा श्रेणिक के आने वाले कर्म रूके नहीं और न पूर्व संचित कर्मों का नाश हुआ। वह नरक जाते हुए भी रूका नहीं और न भगवान महावीर ने राजा श्रेणिक को ऐसा धर्म सिखाया ।
SR No.032415
Book TitleAcharya Bhikshu Tattva Sahitya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni, Shreechan
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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