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________________ नव पदार्थ १६७ ८. कभी सर्व जल के सूख जाने से तालाब रिक्त हो जाता है । उसी तरह सर्व कर्मों के क्षय होने से रिक्त तालाब की तरह मोक्ष होता है । ९. बंध आठ कर्मों का होता है। वह पुद्गल का पर्याय है। मैं उस बंध की पहचान करता हूं। उसे ध्यानपूर्वक सुनें । ढाल : ११ बंध पदार्थ को पहचानें । १. बंध आश्रव-द्वार से निष्पन्न होता है। उस बंध को पुण्य और पाप कहा गया है । वे पुण्य-पाप तो द्रव्य - रूप हैं। जिनेश्वर ने भावतः उसे बंध कहा है । २- ३. जिस तरह तीर्थंकर जन्म लेते हैं, तब वे द्रव्य तीर्थंकर होते हैं, परन्तु भाव तीर्थंकर उस समय होते हैं, जब वे तेरहवें गुणस्थान को प्राप्त करेंगे। उसी तरह जो पुण्यपाप का बंध कहा गया है, वह द्रव्य पुण्य-पाप का बंध है । भाव पुण्य-पाप (बंध) तो तब होगा, जब कर्म सुख-दुःख, शोक संताप के रूप में उदय में आएगा । ४. उस बंध के दो भेद हैं एक पुण्य का बंध, दूसरा पाप का बंध जानें। इन दोनों बंध की पहचान करें । ५. पुण्य बंध के उदय होने से जीव को सात-सुख प्राप्त होते हैं और पाप बंध उदय होने से विविध प्रकार के दुःख होते हैं । ६. जब तक बंध उदय में नहीं आता तब तक जीव को जरा भी सुख - दुःख नहीं होता । बंध सतारूप ही रहता है और थोड़ी भी तकलीफ नहीं देता । ७. उस बंध के चार प्रकार हैं : (१) प्रकृति बंध (२) स्थिति बंध (३) अनुभाग बन्ध (४) प्रदेश बंध । उनको अच्छी तरह से पहचानें ।
SR No.032415
Book TitleAcharya Bhikshu Tattva Sahitya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Ganadhipati, Mahapragya Acharya, Mahashraman Acharya, Sukhlal Muni, Kirtikumar Muni, Shreechan
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2011
Total Pages364
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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